प्रदेश के किसानों को नहीं मिल रहे ब्रोकली के दाम पशुओं को खिलाने को मजबूर

प्रदेश के किसानों को नहीं मिल रहे ब्रोकली के दाम पशुओं को खिलाने को मजबूर

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन   06-05-2020

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते यूरोपियन फसल ब्रोकली का कारोबार ठंडे बस्ते में है। जिससे किसानों को लाखों रुपये की क्षति झेलनी पड़ रही है। होटल व्यवसाय बंद होने से खेतों में ही सड़ रही है। 

महामारी के कारण जिला भर के किसानों को रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं। जिला सोलन में सबसे अधिक यूरोपियन फसलों की पैदावार चायल क्षेत्र में की जाती है। 

यही नहीं विभाग के पास अभी तक 35 से 40 किसानों ने समस्या को बताया है। जिसके बाद विभागीय अधिकारियों ने क्षेत्र में क्षेत्रफल के हिसाब से रिपोर्ट को तैयार किया है।

जानकारी के अनुसार सोलन में शमलेच, चायल, झाजा, नगाली, हिन्नर, सकोड़ी, बांजनी में यूरोपियन फसलों को अधिक मात्रा में लगाया जाता है।

किसान और उपप्रधान झाजा सुरेंद्र कुमार ने बताया कि वह 20 सालों से फसलों को लगाने का कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि 50 बीघा में लगी फसल को 30 से 35 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। जिसके कारण उन्हें अपनी उपज को पशुओं को ही खिलानी पड़ रही है या फिर फेंकने को मजबूर हो रहे हैं। 

मनीष कुमार, श्याम दत्त, पवन कुमार, अजय कुमार ने बताया कि यूरोपीयन फसलों को कारोबार होटल और रेस्टोरेंट बंद होने के कारण तबाह हो चुका है।

बताया कि सोलन मंडी में उपनी उपज को लेकर गए थे। लेकिन 3 से 5 रूपये किलों ही ब्रोकली की खरीद हुई। 

जिससे किसानों को हानि हुई है। उप-निदेशक कृषि विभाग पीसी सैनी से बताया कि यूरोपियन फसल ब्रोकली की ज्यादातर मांग बड़े होटलों में रहती है। 

उन्होंने बताया कि किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान चायल क्षेत्र सहित आसपास हुआ है। इसकी रिपोर्ट क्षेत्र के हिसाब से तैयार की गई थी। उन्होंने बताया कि किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के तौर पर लेकर कार्य जारी है।