बरोट के किसानों के लिए आलू की पैदावार किसी लाटरी से कम नहीं,  40 रुपये किलो बिका आलू 

बरोट के किसानों के लिए आलू की पैदावार किसी लाटरी से कम नहीं,  40 रुपये किलो बिका आलू 

यंगवार्ता न्यूज़ - कांगड़ा   03-09-2020

कांगड़ा जिले के छोटा भंगाल और साथ लगती चौहार घाटी में इन दिनों किसानों के लिए आलू की पैदावार किसी लाटरी से कम साबित नहीं हुई है। पहली बार किसानों को आलू के रिकॉर्ड 40 रुपये प्रति किलोग्राम थोक के दाम मिल रहे हैं। 

इस बार कम फसल होने के बावजूद यहां के किसान मालामाल हो रहे हैं। छोटा भंगाल और साथ लगती चौहार घाटी में यह आलू बरोट के आलू के रूप में प्रसिद्ध है।

अगस्त में किसानों की आलू की फसल निकलना शुरू हुई थी। शुरू में बरोट का आलू 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम थोक भाव में बिका। जो अब दो दिन से 40 रुपये प्रति किलोग्राम थोक में बिक रहा है। 

यहां पर आलू का सीजन नवंबर तक चलता है। पिछले साल मात्र 5 से 10 रुपये प्रतिकिलो थोक भाव था। बरोट के आलू का हर वर्ष करीब 5 से 6 करोड़ रुपये तक कारोबार होता है।

हालांकि, पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार खेतों में आलू की फसल आधी ही हुई है, लेकिन थोक भाव 40 रुपये प्रतिकिलो मिलने से किसानों की जेब फिर भी मालामाल हो रही है। 

बरोट का आलू प्रदेश की नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों की मंडियों में भी भेजा रहा है। आज कल 8 से 10 गाड़ियां रोजाना मंडियों में जा रही हैं। उधर, डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति ने कहा कि खेती में भी रोजगार के बेहतरीन अवसर हैं। किसानों को अब खेती के अच्छे दाम मिलते हैं। 

इसके अलावा दोनों क्षेत्रों मे 5 से 6 करोड़ की सब्जियां भी हर वर्ष निकलती हैं। मुल्थान मे बंद गोभी 12 से 15 रुपये प्रतिकिलो, फूल गोभी 40 से 45 रुपये, मूली 12 रुपये, धनिया 80 से 100 रुपये, चुकंदर 20 से 25, ब्रोकली 30 से 40 तक प्रति किलो थोक भाव में बिक रही है। किसानों को लग रहा था कि कोरोना के चलते इस बार कम रेट रहेंगे, लेकिन किसानों को फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं। 

मुल्थान और बरोट के आलू उत्पादक किसानों कर्म चंद, सुरिंद्र, तिलक राज, प्रताप, हरी चंद, सोहन सिंह, बिहारी लाल, मोहन लाल, फतह सिंह, गोविंद राम, सुभाष, मनी राम, बीरी सिंह, अमरनाथ, लछमन सिंह आदि ने बताया कि इस साल कम फसल के बावजूद आलू के दाम चार गुणा मिल रहे हैं। 

बरोट का आलू हिमाचल, अमृतसर, पठानकोट, चंडीगढ़ मंडियों मे मशहूर है। यह आलू चार पांच  महीने तक खराब नहीं होता है। खाने में यह आलू बहुत स्वादिष्ट होता है। बरोट का आलू दिसम्बर के बाद कांगड़ा घाटी में बिजाई के लिए लगता है।