चमेल देसाई - शिलाई 08-12-2020
पूरे देश में जहाँ किसानों के समर्थन में भारत बन्द का व्यापक असर देखने को मिला वहीँ उप मंडल शिलाई में न दुकाने बन्द हुई, न राजनीतिक पार्टियां विरोध करती नजर आई, न ही किसान समर्थित विपक्ष व अन्य नेता विरोध करते दिखाई दिए है।
उप मंडल शिलाई के रोनहाट, नैनिधार, टिम्बी, कफोटा, जाखना, सतोंन, शिलाई तमाम ऐसे कस्बे है जहाँ पर समूचे क्षेत्र के किसान अपनी नगदी फसलों को बड़ी मंडियों तक भेजने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 707 के सम्पर्क में आते है।
इन्ही कस्बो के माध्यम से रेलियां, धरना प्रदर्शन, आंदोलन करके किसान अपनी बात प्रदेश व केन्द्र सरकार तक पहुचाते है , लेकिन किसानों की फसलों को लेकर बनाए गए केन्द्रीय कानून को गलत बताने वाला किसान भारत बन्द के समर्थन में नजर नहीं आया है जिससे कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर सवालिया निशान लग रहे है।
प्रदेश व केन्द्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकारें है ऐसे में किसानों के हितों को उठाता विपक्ष नजर नहीं आ रहा है, विपक्ष व अन्य दलों के नेता सरकार की दमनकारी नीतियों पर भी सवाल उठाते नजर नहीं आ रहे है। यदि बिलकुल ऐसा ही चल रहा है जेसा दिख रहा है तो क्षेत्र हित में अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे है। ऐसी नीतियों में हमेशा किसान, बागवान, व क्षेत्र का गरीब तबका सुविधाओं से बंचित रह जाता है।
बुद्धिजीवियों की माने तो कहते है कि उप मंडल शिलाई में नेता आम जनता के लिए कभी नहीं लड़ते बल्किजब बारी अपनी जेब की आती है तो पार्टी का झंडा उठाकर दरवाजे पर चले आते है और अपनेपन के राग अलापते रहते है लेकिन यदि किसी गरीब या किसानों के हित में आवाज उठानी होती है तो यही लोग जनता के फोन उठाने बन्द कर देते है।
यही हालत क्षेत्र के शीर्ष नेताओं की है जो सत्ता में है वह जनता से सम्पर्क तोड़ चुके है तथा विपक्षी नेता कहते है कि हमारी सरकार नही है। उपमंडलाधिकारी शिलाई हर्ष अमरिंदर नेगी ने बताया कि उपमंडल में हर तरफ शांति है क्षेत्र में किसी तरह का आंदोलन व ज्ञापन किसान आंदोलन के पक्ष में नहीं आया है।