विदेशी परिंदों की पहली पसंद बनी हिमाचल की शांत वातावरण पौंग डैम झील
पर्याप्त भोजन और शांत वातावरण मिलने से विदेशी परिंदों की पहली पसंद हिमाचल की पौंग डैम झील बन गई है। हजारों किलोमीटर दूर से उड़ान भरकर विदेशी परिंदे यहां पहुंच रहे हैं
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 06-02-2023
पर्याप्त भोजन और शांत वातावरण मिलने से विदेशी परिंदों की पहली पसंद हिमाचल की पौंग डैम झील बन गई है। हजारों किलोमीटर दूर से उड़ान भरकर विदेशी परिंदे यहां पहुंच रहे हैं। उधर, सतलुज नदी के जल पर बनी झीलों में परिंदों को उपयुक्त भोजन नहीं मिलता है। ये परिंदे झील में मछलियों और अन्य कीटों को अपना भोजन बनाते हैं।
पौंग झील में मछलियां पर्याप्त मात्रा में हैं। प्रदेश में अन्य झीलें भी हैं, लेकिन वहां इन्हें उड़ने के लिए सही माहौल नहीं मिलता है या भोजन की तलाश करने में दिक्कत होती है। राज्य में रेणुका जी झील में भी हर साल विदेशी परिंदे पहुंचते हैं, लेकिन पौंग झील की अपेक्षा यहां इनकी संख्या काफी कम रहती है।
हर साल आने वाले विदेशी परिंदों पर वन्य प्राणी विभाग और एनजीओ नजर रखे हुए हैं। विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों की मदद से इनकी गणना भी की जाती है। यह भी देखा जाता है कि कौन सी प्रजाति के नए पक्षी हिमाचल पहुंचे हैं। हर साल जनवरी में इन परिंदों की गणना की जाती है।
प्रदेश की अन्य झीलों में विदेशी परिंदे ज्यादा समय नहीं रहते। वन्य प्राणी विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सतलुज नदी के जल पर बनी झील गहरी होती हैं। यहां विदेशी परिंदों को उपयुक्त मात्रा में भोजन नहीं मिलता है। ये परिंदे ज्यादातर झीलों में कीटों को भोजन बनाते हैं। ऐसी स्थिति में पौंग झील इन परिंदों के लिए सुविधाजनक रहती है। इस झील का क्षेत्र काफी फैला है।
वन्य प्राणी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल की पौंग डैम झील में इस साल सीजन में हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर 108 प्रजातियों के परिंदे पहुंचे हैं। पिछली बार 110 प्रजातियों के विदेशी परिंदे आए थे। हिमाचल में कई झीलें हैं, लेकिन सबसे ज्यादा विदेशी परिंदे पौंग झील में पनाह लेना पसंद करते हैं।
इसका प्रमुख कारण यही है कि झील के क्षेत्र में उन्हें आसानी से भोजन मिल जाता है। यहां का वातावरण भी इन्हें खूब रास आता है। इस बार पौंग झील में विदेशी परिंदों की 108 प्रजातियां पहुंची हैंं। पहली बार लंबी पूंछ वाली बत्तख देखी गई थी। इस बार इन परिंदों की संख्या पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है। - राज्य के वन्य प्राणी प्रमुख, राजीव कुमार