वापस कर दूंगी पद्मश्री अवॉर्ड और माफी भी मांग लूंगी, कोई मुझे बताएं 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई : कंगना 

धाकड़ गर्ल कंगना रनौत ने थोड़ी चुप्पी , 1857 का मुझे पता है लेकिन 1947 की मुझे जानकारी नहीं 

वापस कर दूंगी पद्मश्री अवॉर्ड और माफी भी मांग लूंगी, कोई मुझे बताएं 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई : कंगना 
धाकड़ गर्ल कंगना रनौत ने थोड़ी चुप्पी , 1857 का मुझे पता है लेकिन 1947 की मुझे जानकारी नहीं 
 
न्यूज़ एजेंसी - मुंबई   रिपब्लिक न्यूज़ इंडिया
 
अपने बयान को लेकर खूब सुर्खियां बटोर रही कंगना रनौत ने आखिरकार चुप्पी तोड़ दी और मीडिया के बयान जारी कर कहा की यदि कोई उसके सवालों का जबाब दें तो वह न केवल पद्मश्री वापस लौटाएगी बल्कि माफ़ी भी मांगेगी। 
 
सिर्फ नेता ही नहीं बल्कि उनके बयान से कई आम लोग भी आहत  हुए है जिसके बाद लोगो ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियां देना शुरू कर दिया है। और उन्हें हाल ही में दिए गए पद्म श्री अवॉर्ड को लौटाने की भी मांग कर रहे हैं।
 
हर तरफ हो रही कड़ी आलोचना के बीच हाल ही में धाकड़ गर्ल ने अपनी चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि अगर लोग ये साबित कर दें कि मैंने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है तो वह अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटा देंगी।
 
 कंगना ने अब अपने बयान पर चुप्पी तोड़ते हुए एक पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है कि इंटरव्यू में सारी बातें साफ तौर पर कही गई थीं कि 1857 में आजादी के लिए पहली संगठित लड़ाई लड़ी गई।
 
साथ में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी के बलिदान पर भी बात की गई। 1857 का मुझे पता है लेकिन 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई।
 
इसकी मुझे जानकारी नहीं है। अगर कोई मेरी इस बात पर जानकारी बढ़ाए तो मैं अपना पद्मश्री अवॉर्ड वापस कर दूंगी और माफी भी मांग लूंगी कृपया मेरी मदद करें।
 
कंगना का कहना है कि इंटरव्यू में सारी बातें साफ तौर पर कही गई थीं कि 1857 में आजादी के लिए पहली संगठित लड़ाई लड़ी गई। साथ में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी के बलिदान पर भी बात की गई।
 
1857 का मुझे पता है लेकिन 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई इसकी मुझे जानकारी नहीं है। अगर कोई मेरी इस बात पर जानकारी बढ़ाए तो मैं अपना पद्मश्री अवॉर्ड वापस कर दूंगी और माफी भी मांग लूंगी। 
 
कंगना ने बताया कि वह 2014 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने की अपनी टिप्पणी को सही ठहराते हुए कंगना ने लिखा है कि जहां तक 2014 में मिली आज़ादी की बात है तो मैं खास तौर पर कहा कि भले ही हमारे पास दिखाने के लिए आजादी थी लेकिन भारत की चेतना और विवेक को आजादी 2014 में मिली।
 
एक मृत सभ्यता को जान मिली और उसने अपने पंख फैलाए और अब यह जोरदार तरीके से दहाड़ रही है। आज पहली बार लोग इंग्लिश नहीं बोलने या छोटे शहर से आने या मेड इन इंडिया प्रॉडक्ट बनाने के लिए हमारी बेइज्जती नहीं कर सकते। उस इंटरव्यू में सब कुछ साफ किया गया है लेकिन जो चोर हैं उनकी तो जलन कोई बुझा नहीं सकता।