विस्थापितों ने रेणुकाजी दें मैनजमेंट टीम को नहीं करने दी पेड़ों की गिनती
गिरी नदी पर प्रस्तावित 26 Kilometer लंबे रेणुकाजी बांध के डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सबसे बड़े गांव सीऊं में पेड़ो की गणना के लिए पंहुची बांध प्रबंधन की टीम को विस्थापितों ने बेरंग वापिस भगा अथवा लौटा दिया
पीएम मोदी द्वारा 7000 करोड़ की परियोजना के शिलान्यास के बाद तेज हुई गतिविधियां
यंगवार्ता न्यूज़ - संगड़ाह 03-01-2023
गिरी नदी पर प्रस्तावित 26 Kilometer लंबे रेणुकाजी बांध के डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सबसे बड़े गांव सीऊं में पेड़ो की गणना के लिए पंहुची बांध प्रबंधन की टीम को विस्थापितों ने बेरंग वापिस भगा अथवा लौटा दिया।
संगड़ाह पंचायत के उपप्रधान सतपाल तोमर व विस्थापित संघर्ष समिति Secretary योगेश ठाकुर आदि के नैत्रित्व मे मांगे पूरी न होने तथा केवल Forest Land Trees Counting के मुद्दे पर ग्रामीणों ने जमकर Dam Administration के खिलाफ नारेबाजी भी की। संगड़ाह पंचायत के इस गांव के समिति पदाधिकारियों ने परियोजना के कर्मचारियों से बातचीत में आरोप लगाया कि उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा नहीं देने की नीयत से एक दशक बाद केवल वन विभाग के जंगलों के पड़ों की गणना फिर से की जा रही है।
उन्होंने कहा कि, 10 साल में यदि वन विभाग के पेड़ों का आकार बढ़ा है, तो उनकी जमीन के पेड़ भी उतने ही बढ़े हैं इसलिए पहले Private Land Trees Counting होनी चाहिए। गौरतलब है कि, गत नवंबर माह में हुए विधानसभा Election में भी यह बांध मुख्य मुद्दा रहा था। वर्तमान Congress MLA ने जहां विस्थापितों की सभी मांगे पूरी करने का वादा किया था।
वही BJP नेताओं ने 1960 के दशक से राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव मे लंबित अथवा प्रस्तावित राष्ट्रीय महत्व के इस Project के लिए Budget उपलब्ध करवाने व Prime Minister द्वारा शिलान्यास किए जाने को बड़ी उपलब्धि के रूप में भुनाने की कोशिश की थी। बांध से विस्थापित होने वाले करीब 1,142 परिवारों की समस्याओं को लेकर गठित जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला व सहसंयोजक पीसी शर्मा ने Media को जारी बयान में कहा कि परियोजना के शिलान्यास से पूर्व 24, दिसम्बर 2021 को DC Sirmaur को सौंपे गए 18 सूत्रीय मांग पत्र में से अब तक एक भी मुख्य मांग पूरी नही हुई।
उन्होने कहा कि, न तो अब तक विस्थापितों को PPF पहचान पत्र दिए गए, न पैरा- 55 के तहत उन्हें मिले मुआवजे का विस्त्रित विवरण दिया गया, न पुनर्वास हुआ और न ही रोजगार उपलब्ध करवाया गया। मांगे पूरी न होने तक उन्होंने परियोजना का कोई भी काम न होने देने की चेतावनी दी।
गौरतलब है कि, गत 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा करीब 7,000 करोड़ के इस Dam का शिलान्यास किया जाने के बाद समिति की गतिविधियां तेज हो गई हैं और निर्माण कार्य शुरू होने से पहले विस्थापित अपनी सभी demands पूरी करवाने के लिए दबाव बना रहे हैं। वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही मात्र 40 Megawatts के इस Dam पर करीब 780 करोड़ ₹ खर्च हो चुके हैं।
जिसमे करीब 450 करोड़ विस्थापित होने वाले किसानों को मुआवजे के रूप मे दिए गए हैं। बांध से डूबने वाले 7 Kilometer संगड़ाह-नाहन Road के 14 KM वैकल्पिक मार्ग के लिए भी Budget मिलना शेष है, हालांकि PWD के अधिशासी अभियंता संगड़ाह रतन शर्मा के अनुसार DPR के लिए करीब 14 लाख का बजट उपलब्ध करवाया जा चुका है।
बिना पेड़ो की गणना के लौटी टीम के सदस्यों ने उक्त मुद्दे पर अधिकारिक बयान के लिए उच्च अधिकारियों से संपर्क करने को कहा। रेणुकाजी बांध परियोजना महाप्रबंधक महेंद्र कपूर के Mobile पर इस बारे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी और उनकी कार्यालय सहायक ने कहा कि साहब Meeting में व्यस्त है।
गौरतलब है कि इस बांध से दिल्ली सहित आधा दर्जन राज्यों को लगातार 23 क्युमैक्स ताजा पानी उपलब्ध करवाना भी संभव नहीं दिखता क्योंकि गर्मियों में नदी का Discharge/ जल स्तर महज 5 Qmax के आसपास रहता है। बांध प्रबंधन के अधिकारियों के अनुसार बरसात अथवा बाढ़ का पानी 26 KM रिजर्वायर में Store कर कईं दिन Supply किया जाएगा।