शिक्षा का उद्देश्य मात्र पढ़ाना नहीं बल्कि व्यक्ति की चौहमुखी प्रतिभा का विकास करना है : डॉ. भरत

हमें हमेंशा कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहना चाहिए। यही हमारे संस्कार एवं संस्कृति है। ये बात डॉ. भरत ने पंचवर्षीय विधिक अध्ययन संस्थान द्वारा नए छात्रों के लिए आयोजित इंडक्शन कार्यक्रम के दौरान कही

शिक्षा का उद्देश्य मात्र पढ़ाना नहीं बल्कि व्यक्ति की चौहमुखी प्रतिभा का विकास करना है : डॉ. भरत
 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  10-10-2022
 
हमें हमेंशा कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहना चाहिए। यही हमारे संस्कार एवं संस्कृति है। ये बात डॉ. भरत ने पंचवर्षीय विधिक अध्ययन संस्थान द्वारा नए छात्रों के लिए आयोजित इंडक्शन कार्यक्रम के दौरान कही। गौरतलब है कि विधिक अध्ययन संस्थान द्वारा नए छात्रों के लिए इंडक्शन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 
 
 
कार्यक्रम की यही दूसरी कड़ी है। पंजाब विश्वविद्यालय विधिक अध्ययन संस्थान में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत डॉ. भरत ने छात्रों से प्रोफेशनल एथिक्स यानी पेशेवर नैतिकता पर बात की। 
 
 
डॉ. भरत ने कहा कि हमें शिक्षा के सही मायने समझना जरूरी है। शिक्षा का उद्देश्य मात्र पढ़ाना नहीं बल्कि व्यक्ति की चौहमुखी प्रतिभा का विकास करना है। उन्होंने कहा कि एथिक्स की समझ ही हमें सही-गलत और अच्छे-बुरे का भेद सिखाती है। 
 
 
अमृत काल के इस मौके पर हमें एक नए भारत का सृजन करना है और वह एथिक्स पर चल कर या फिर स्वामी विवेकानंद और डॉ. अंबेडकर जी द्वारा बताए रास्ते पर चल कर ही हो सकता है। कार्यक्रम के दौरान विधिक अध्ययन संस्थान के निदेशक आचार्य डॉ. शिव कुमार डोगरा एवं डॉ. विजय चौधरी भी मौजूद रहे।