शिक्षिका से पहली आईपीएस और अब डीजीपी बनकर समाज के लिए प्रेरणा बनी : श्रीलेखा
आज हम आपको ऐसी हीं एक महिला आईपीएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने सभी कठिनाइयों का सामना करके आईपीएस बनी। उस महिला आईपीएस ने इमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की जो बेहद सराहनीय है। तो आइए जानते हैं उनके आईपीएस के सफर के बारे में। आर श्रीलेखा केरल की पहली महिला आईपीएस हैं। श्रीलेखा स्कूल में ही एनसीसी , एनएसएस तथा संगीत आदि क्रियाकलापों में बहुत ही जोर-शोर के साथ हिस्सा लेती थीं। उन्होंने महिला कॉलेज तिरुवनंतपुरम् से अंग्रेजी ऑनर्स से स्नातक की उपाधि हासिल किया। उसके बाद श्रीलेखा ने केरल यूनिवर्सिटी कैम्पस के यूनिवर्सिटी ऑफ इंगलिश से मास्टर्स की उपाधि भी प्राप्त किया।
श्रीलेखा के पिता सेना में थे। वे भारत-पाकिस्तान के युद्घ में भी शामिल हो चुके थे जो घायल होने के बाद सेना से रिटायर्ड होकर प्रोफेसर बन गये। अपने पिता को देश की सेवा करते देख कर श्रीलेखा भी वर्दी पहनकर देश की सेवा करना चाहती थीं। पिता का देहांत होने के बाद मां, 2 बहनें और एक भाई की जिम्मेदारी श्रीलेखा के कंधो पर आ गई। अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उन्होंने नौकरी करना शुरू किया। श्रीलेखा करुणागपल्ली के विद्याधिराज कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर कार्य करने लगीं।
उसके बाद श्रीलेखा की नौकरी रिजर्ब बैंक के बी ग्रेड ऑफीसर के रूप में लगी। उसके बाद उनको स्टेटीस्टिकल ऑफिसर बनाकर मुंबई भेज दिया गया। परंतु श्रीलेखा देश के लिए कुछ करना चाहती थीं। देश की सेवा के प्रति उनका बेहद लगाव था। देश के प्रति सेवा भाव से उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दिया और वह उस परीक्षा में सफलता भी हासिल किया।
श्रीलेखा को वर्ष 1987 के जनवरी माह में मात्र 26 वर्ष की उम्र में केरल की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उस समय से अभी तक वे केरल पुलिस की एक बेहद इमानदार और बेदाग छवि के रूप में उभर कर सामने आई हैं। श्रीलेखा ने केरल पुलिस में त्रिशूर, अलापुजहा तथा पथानामथिट जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी ) के पद पर सेवाएं दी। इन सब के अलावा श्रीलेखा ने सीबीआई में भी 4 वर्षों तक सेवाएं प्रदान की हैं। सीबीआई में सेवा के दौरान वे केरल में एसपी और दिल्ली में डीआईजी भी रहीं। उसके बाद श्रीलेखा को एर्नाकुलम रेंज के उप महानिरीक्षक के पद पर नियुक्ति हुई।
श्रीलेखा आरंभ से ही ईमानदार और निडर अधिकारी हैं। जब वे सीबीआई में शामिल हुई थीं, उसके कुछ हीं समय के बाद लोग उन्हें “रेड श्रीलेखा” के नाम से पुकारने लगे थे। श्रीलेखा बिना किसी भय के बड़े-बड़े प्रभावशाली लोगों के घर पर छापा मारती थीं। वह कभी भी किसी की परवाह नहीं करती, सिर्फ एक सुराग मिलते ही छापा मारने से पीछे नहीं हटती थीं। पिछ्ले वर्ष श्रीलेखा ने अपने एक साथी ऑफिसर पर पिछले 29 वर्षों से मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था।
उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में एदिजीपी तोमिन जे थाचनकेरी पर आरोप लगाते हुये लिखा था कि वर्ष 1987 में आईपीएस की ट्रेनिंग से ही वह मानसिक तौर पर प्रताड़ित करते हैं। इसके अलावा श्रीलेखा ने अपनी इमानदार छवि को बेदाग रखने के लिए एक करोड़ की रिश्वत को भी ठुकरा दिया। एक बार वर्ष 2000 में श्रीलेखा को शराब माफियाओं के अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध धन्धा चलाने के बारे में जानकारी मिली। जानकारी मिलते ही श्रीलेखा ने कलेक्टर के साथ जाकर वहां छापा मारा और शराब के साथ-साथ लाखों रुपये की नकदी भी पकड़ा। शराब माफिया ने श्रीलेखा को एक करोड़ रुपये घुस लेकर छोड़ने का ऑफर दिया परंतु ईमानदार श्रीलेखा उनकी बात नहीं मानी और रूपये को अस्वीकार कर दिया।
श्रीलेखा को लैंगिग अनुपात के बीच के अंतर को मिटाने के लिए अपने प्रयासों के लिए भी जाना जाता है। श्रीलेखा पुलिस अधिकारी के साथ-साथ एक लेखक भी हैं। उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्ष 2004 में श्रीलेखा को डीआईजी सतर्कता और भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रपति के द्वारा पुलिस पदक से सम्मानित भी किया गया था। इसके अलावा वर्ष 2013 में पुलिस सेवा मे विशेष उपलब्धियां प्राप्त करने के लिए श्रीलेखा को राष्ट्रपति की तरफ से पुलिस मेडल से नवाजा गया। वह राज्य की अब पहली महिला डीजीपी भी बन गई हैं। अब वह पूरे राज्य के पुलिस की कमान अपने हाथ मे लेंगी और संभालेंगी। यंगवार्ता आईपीएस श्रीलेखा को उनके साहस और इमानदारी के लिए शत-शत नमन करता है। हमारे देश में ऐसे हीं ईमानदार और निर्भय पुलिस ऑफिसर की जरुरत है।