रमेश पहाड़िया - नाहन 27-04-2023
हिमाचल प्रदेश में शिक्षक भर्ती को लेकर सरकार में ही तालमेल नहीं है या यूं कहें कि हिमाचल प्रदेश में होने वाली भर्तियों या फिर अन्य फैसलों को लेकर मुख्यमंत्री और मंत्रियों में सामंजस्य नहीं है। तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी दो दिन पूर्व हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने शिक्षक भर्ती को लेकर बाकायदा मीडिया के सामने बयान दिया कि हिमाचल प्रदेश में 3104 शिक्षकों की भर्ती की जाएगी , जिनमें जेबीटी , टीजीटी और शास्त्री आदि के पद भरे जाएंगे। साथ ही हर्ष वर्धन चौहान ने स्पष्ट किया कि जो भर्ती होगी वह नियमित भर्ती नहीं , बल्कि अस्थाई भर्ती होगी।
उद्योग मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कैबिनेट की सब कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि हिमाचल प्रदेश में जो शिक्षकों की भर्तियां होगी वह अस्थाई तौर पर होगी। उद्योग मंत्री के बयान के बाद सरकार की जब किरकिरी होने लगी और विपक्ष को निगम चुनाव के बीच बैठे बिठाए मुद्दा मिला तो सीएम सुक्खू को सामने आना पड़ा। सीएम सुक्खू ने किरकिरी से बचने के लिए इसका ठीकरा मीडिया के सर मढ़ दिया , जबकि उद्योग मंत्री और केबिनेट सब कमिटी के मुखिया हर्ष वर्धन चौहान का अस्थाई भर्ती वाला बयान मीडिया के पास मौजूद है जो सीएम के बयान के बाद खूब वायरल हो रहा है। दो दिन बाद ही हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान आया कि शिक्षक भर्ती को लेकर मीडिया में झूठ फैलाया जा रहा है।
भले ही उन्होंने इसका ठीकरा मीडिया सिर फोड़ा , लेकिन सरकार के मंत्री ने बाकायदा मीडिया के कैमरे के समक्ष बयान दिया है कि हिमाचल प्रदेश में जो शिक्षकों की भर्तियां होगी वह पूरी तरह अस्थाई तौर पर की जाएगी। उद्योग मंत्री ने कहा कैबिनेट में आरक्षण रोस्टर भी लागू करने की सिफारिश की है। साथ ही कहा की यह रेगुलर भर्ती नहीं होगी और स्टॉप गैप अरेंजमेंट के तहत सरकारी स्कूलों में एडमिट बच्चों को शिक्षक उपलब्ध करवाए जाएंगे। इन शिक्षकों को रेगुलर भर्ती से रिप्लेस किया जाए क्या जा सकेगा। उद्योग मंत्री ने कहा कैबिनेट कमेटी की ओर से गाइडलाइन भी शिक्षा विभाग को दे दी गई है।
अब कार्मिक विभाग , विधि विभाग और वित्त विभाग से राय ली जाएगी और शिक्षक भर्ती पर कैबिनेट अंतिम फैसला लेगी , लेकिन मजेदार बात तो यह है कि दो दिन बाद ही सरकार ने यू टर्न ले लिया। जिसमें मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि हिमाचल प्रदेश में कोई भी शिक्षक की भर्ती अस्थाई तौर पर नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो मीडिया में बयान आया है वह भ्रामक करने वाला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जो भी भर्तियां होगी वह स्थाई तौर पर होगी और इसकी भर्ती हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा ही की जाएगी।
अब देखना यह है कि हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच इसी तरह का विरोधाभास रहेगा या फिर आने वाले समय में मंत्री भी स्वतंत्र रूप से कोई फैसला ले पाएंगे। मुख्यमंत्री के बयान से साफ जाहिर है कि हिमाचल प्रदेश सरकार में जो मंत्री बनाए गए हैं वह केवल मात्र रबड़ स्टैंप है क्योकि अंतिम मुहर मुख्यमंत्री के हाथों से ही लगनी है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस सरकार में मंत्री स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकते। जिसका ताजा उदाहरण शिक्षक भर्ती का सामने आया है।