सदन में बोले सीएम एसएमसी शिक्षकों की मदद का रास्ता बना रही सरकार 

सदन में बोले सीएम एसएमसी शिक्षकों की मदद का रास्ता बना रही सरकार 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   11-09-2020

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को सदन में कहा कि सरकार एसएमसी शिक्षकों की मदद का रास्ता बना रही है। सुप्रीम कोर्ट में इन शिक्षकों की कानूनी सहायता की जा रही है। 

जहां दुर्गम क्षेत्रों में कोई शिक्षक सेवाएं नहीं देता था, वहां एसएमसी शिक्षक सेवाएं देते थे। इनके बारे में सरकार की मंशा साफ है कि इनकी सहायता की जाएगी। इनके मामले में कानूनी पेचीदगियां हैं, इन्हें ठीक करने में वक्त लगेगा।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह बात प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक आशा कुमारी के शिक्षा नीति पर किए एक सवाल पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के अनुपूरक सवाल के जवाब में दी। 

शुक्रवार को प्रश्नकाल में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को इस अनुपूरक सवाल पर घिरता देख मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद खड़े हो गए। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को मुकेश अग्निहोत्री ने इस अनुपूरक सवाल से घेरा तो वह इसे टालने लगे।

गोविंद सिंह ठाकुर बोले- मैं शिक्षा विभाग में नया-नया हूं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। अभी विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति का है। जब सवाल आएगा तो इसका जवाब देंगे। अलग से सवाल लगाएं। शिक्षा नीति पर जवाब को अलग दिशा देना भी सही नहीं है। मुकेश अग्निहोत्री ने सवाल किया - आपने 2610 एमएमसी शिक्षक निकाल दिए।

क्या इनके लिए कोई नीति लाई जा रही है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री ने कहा कि वास्तव में जो प्रश्न है, यह नई शिक्षा नीति से संबंधित है। इसके बावजूद आपकी मंशा है कि हम ऐसा कोई जिक्र करें कि जो शिक्षक सेवाएं दे रहे थे, उनका निर्णय आने के बाद सरकार को क्या करना है। 

इस बारे यूूं विस्तार से चर्चा की गई है। इनके प्रतिनिधि मिले हैं, इससे पहले पीटीए, पैट के मामले को लेकर हमारी सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण से जो मदद कर सकते थे, वह की है।

इस मामले पर निर्णय आने के बाद उन सारी श्रेणियों पीटीए, पैट की सेवाएं नियमित करने का निर्णय लिया। प्रदेश में करीब 2555 ऐसे शिक्षक हैं। मानवीय दृष्टिकोण के साथ इनके लिए भी मदद का रास्ता बना रहे हैं। इनकी मदद करने की मंशा साफ है। 

इनकी रिव्यू पेटिशन हाईकोर्ट में एडमिट नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट में हम मदद कर रहे हैं, जहां शिक्षक नहीं जाते थे, वहां यह सेवाएं दे रहे हैं। कानूनी पेचीदगियां हैं, मगर मदद करने की मंशा सरकार की एकदम साफ है।