सरकार की फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच ने घेरा निदेशालय , जम कर की नारेबाजी
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 09-11-2020
छात्र अभिभावक मंच ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निजी स्कूलों व संस्थानों को पूरी फीस लेने के लिए अधिकृत करने के निर्णय के खिलाफ शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर प्रदर्शन किया। मंच ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस निर्णय को तुरन्त वापिस लिया जाए व निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की पूर्ण फीस वसूली में की जा रही मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाई जाए।
मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को जबरन लागू करने की कोशिश की तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन होगा। शिक्षा निदेशालय के बाहर मंच के सदस्य एकत्रित हुए तथा लगभग एक घंटे तक प्रदेश सरकार,शिक्षा विभाग व निजी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते रहे।
प्रदर्शनकारी निजी स्कूलों की लूट व खुली मनमानी के खिलाफ आंदोलनरत रहे। प्रदर्शन में कपिल शर्मा, हिमी देवी, बालक राम, चन्द्रकान्त वर्मा, मदन कुमार, दलीप सिंह, रामप्रकाश, अमित ठाकुर, रमन थारटा, अनिल ठाकुर, रविन्द्र चन्देल व गौरव नाथन आदि मौजूद रहे।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, सदस्य विवेक कश्यप, सत्यवान पुंडीर व जियानंद शर्मा ने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छह लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों से निजी स्कूलों की पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने पूर्ण फीस वसूली पर कैबिनेट के निर्णय को बेहद चौकाने वाला छात्र व अभिभावक विरोधी निर्णय बताया है।
विजेंद्र मेहरा ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार पर कार्रवाई करे। उन्होंने मांग की है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(एफ) के अनुसार निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के नैतिक व भौतिक अधिकारों की रक्षा की जाए व उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार की निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत का पर्दाफाश हो चुका है।
इस मिलीभगत के कारण ही सरकार ने मई महीने में जान बूझकर अधिसूचना में अस्पष्टता दिखाई ताकि वक्त आने पर निजी स्कूलों को इसकी आड़ में लूट की खुली इज़ाज़त दी जा सके। ट्यूशन फीस के अलावा बाकी अन्य चार्जेज़ सहित फीस माफी को अधिसूचना में जान बूझ कर नहीं दर्शाया गया। एक भी दिन स्कूल गए बिना ही छात्रों व अभिभावकों से मनचाही फीस उगाही जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए।