सोशल मीडिया की शान बनी हिमाचली टोपी
यंगवार्ता न्यूज़ - हमीरपुर 15-12-2020
हिमाचल टोपी इन दिनों सोशल मीडिया की शान बनी हुई है। हर कोई फेसबुक पर हिमाचली टोपी पहने अपनी नई-पुरानी फोटो अपलोड कर रहा है। पिछले तीन दिनों से हैश टैग के माध्यम से सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर हिमाचली टोपी का जादू छाया हुआ है।
सोमवार शाम तक हजारों हिमालियों को अपने रंग में रंगा हुआ नजर आया। गौर हो कि हिमाचल में वर्षों से टोपी का साम्राज्य रहा है, लेकिन प्रदेश की सियासत में ये तीनों ही बातें हुईं। सियासतदानों ने सिर के इस ताज को अपने-अपने हिसाब से इस्तेमाल किया।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह ने हरी पट्टी वाली किन्नौरी टोपी, भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल ने महासुई की प्रसिद्ध मैरून पट्टी वाली टोपी को तवज्जो दी, तो भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने हरी और लाल रंग से हटकर कुल्लवी टोपी को अपने सिर की शान बनाया।
वर्ष 2017 में जब जयराम ठाकुर सत्ता की कमान संभाली तो उन्होंने सियासत में टोपियों का कल्चर समाप्त करने के लिए हर रंगी की टोपी को अपने सिर पर सजाया।
सियासत में भले ही ये टोपियां सियासी दृष्टि से पहनीं, पहनाई और उछाली गईं, लेकिन आज कल हैश टैग पहाड़ी टोपी चैलेंज में हजारों प्रदेशवासियों ने बता दिया कि संस्कृति सियासत से कहीं ऊपर होती है।
फिर चाहे टोपी का कोई भी रंग क्यों न हो। हालांकि पिछले कुछ समय से जिस तरह वेस्टर्न कल्चर हावी हुआ है तो कई तरह की टोपियां मार्केट में उतारी गई हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर छाए टोपी चैलेंज मेें बच्चों से लेकर बूढ़े तक सबने हजारों की संख्या में हैश टैग पहाड़ी टोपी चैलेंज में भाग लेकर हिमाचल की संस्कृति को सोशल मीडिया के मार्फत विश्व पटल पर रखने का प्रयास किया है।
बता दें कि हिमाचल की बात करें तो यहां बुशहरी, कुल्लवी और महासुई टोपी का प्रचलन रहा है। सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में किश्ती टोपी का प्रचलन है।
हालांकि प्रदेश में सिर ढकने का प्रचलन दशकों पुराना है। प्रदेश में पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं सिर को ढकती हैं।
हिमाचल के अधिकतर हिस्सों में महिलाएं जहां दुपट्टे से सिर को ढकती हैं, वहीं पुरुषों में टोपी और साफा पहनने का प्रचलन रहा है। वहीं किन्नौर की बात करें तो शादीशुदा महिलाओं के लिए उनके रिवाज के अनुसार टोपी पहनना जरूरी है।
भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहायक निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए त्रिलोक सूर्यवंशी कहते हैं कि टोपी हमारे सिर का ताज होती है। यह ताज हमेशा ऊंचा रहना चाहिए।
बुजुर्गों ने हमेशा अपनी संस्कृति को सहेजा है। बदलते वक्त के दौर में सोशल मीडिया के माध्यम से हिमाचली टोपी को जिस तरह इस टोपी चैलेंज से बूस्ट किया, जो काबिले तारीफ है।
पूर्व बागबानी मंत्री सत्य प्रकाश के पिता स्व. वेद प्रकाश का पट्टी वाली कुल्लवी टोपी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम योगदान माना जाता है।
एक किस्सा बताया जाता है कि पूर्व बागबानी मंत्री सत्यप्रकाश जब एक बार अपने विदेश दौरे पर गए थे और एयरपोर्ट पर उतरे तो वहां एक अंग्रेज ने उनसे पूछा था कि ‘आर यू फ्रॉम कुल्लू मनाली’।