हिमाचल को आर्थिक संकट से उभारने के लिए केंद्र ने बढ़ाए हाथ , 1700 करोड़ का बिजली प्रोजेक्ट मंजूर

हिमाचल के लोगों को निर्बाध बिजली देने और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस कम करने के लिए प्रदेश को भारत सरकार से 1700 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मंजूर हो गया है। राज्य बिजली बोर्ड इसके तहत अब हिमाचल में विद्युत ट्रांसमिशन सिस्टम को बदलेगा और स्मार्ट मीटर भी लगेंगे

हिमाचल को आर्थिक संकट से उभारने के लिए केंद्र ने बढ़ाए हाथ , 1700 करोड़ का बिजली प्रोजेक्ट मंजूर

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  11-06-2023

हिमाचल के लोगों को निर्बाध बिजली देने और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस कम करने के लिए प्रदेश को भारत सरकार से 1700 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मंजूर हो गया है। राज्य बिजली बोर्ड इसके तहत अब हिमाचल में विद्युत ट्रांसमिशन सिस्टम को बदलेगा और स्मार्ट मीटर भी लगेंगे। पहले यह प्रोजेक्ट 1835 करोड़ का था, लेकिन पावर फाइनेंस कारपोरेशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी से कुछ फीडबैक के बाद अब इसमें संशोधन किया गया है। भारत सरकार राज्यों की पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सप्लाई स्कीम यानी आरडीएसएस के तहत मदद कर रही है। 
 
 
पूरे पांच साल के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए करीब एक लाख करोड़ का बजट रखा है। इसी के तहत हिमाचल के लिए भी संशोधित ड्राफ्ट अब मंजूर हुआ है। पीएफसी और सीईए के बाद अब केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने भी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इसके लिए अब राज्य बिजली बोर्ड नए सिरे से टेंडर करेगा। टेंडर की प्रक्रिया को भी अब बदला जाएगा। पहले इसके 14 से 15 पैकेज बना दिए गए थे और एसई से लेकर जिला स्तर तक यह परचेज हो रही थी। अब केवल जोनल लेवल पर ही सब कुछ होगा। भारत सरकार हिमाचल को 90:10 के अनुपात में यह पैसा देगी। 
 
 
लोगों तक बिजली पहुंचाने के नेटवर्क को आधुनिक किया जाएगा और साथ में ही स्मार्ट मीटर भी लगाए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट का मुख्य मकसद अब डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को कम करना है। हिमाचल में बिजली बोर्ड का डिस्ट्रीब्यूशन लास्ट 14 फीसदी के करीब है। इसे 10 फीसदी से नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी देश में सिर्फ दो राज्यों का डिस्ट्रीब्यूशन लॉस 10 फीसदी से नीचे है। यदि हिमाचल अपना डिस्ट्रीब्यूशन लॉस दो से तीन फीसदी भी कम कर ले, तो भी हर साल 250 करोड़ रुपए की बचत होगी। 
 
 
राज्य बिजली बोर्ड के 24 लाख उपभोक्ता बेशक है, लेकिन 60 से 70 फीसदी रेवेन्यू औद्योगिक इस्तेमाल की बिजली से आता है। हिमाचल बेशक पावर सरप्लस कहा जाता हो , लेकिन लोगों को बिजली देने के लिए हर साल 7000 करोड़ की बिजली भी खरीदी जाती है। ऐसे में 1700 करोड़ के इस आरडीएस प्रोजेक्ट में राज्य सरकार को आने वाले समय में बचत की उम्मीद है।