हिमाचल में अब नहीं लगने बिजली के स्मार्ट मीटर, 3701 करोड़ की योजना के टेंडर रद्द, 24 लाख लगने थे स्मार्ट मीटर

हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) ने स्मार्ट मीटर और सिस्टम इम्प्रूवमेंट के 3701 करोड़ रुपए के टेंडर रद्द किए हैं। इसके पीछे बोर्ड ने एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन का हवाला दिया

हिमाचल में अब नहीं लगने बिजली के स्मार्ट मीटर, 3701 करोड़ की योजना के टेंडर रद्द, 24 लाख लगने थे स्मार्ट मीटर

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     21-02-2023

हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) ने स्मार्ट मीटर और सिस्टम इम्प्रूवमेंट के 3701 करोड़ रुपए के टेंडर रद्द किए हैं। इसके पीछे बोर्ड ने एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन का हवाला दिया है। सूत्रों की मानें तो  एचपीएसईबी ने यह कार्रवाई मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के निर्देशों पर की है। 

गौरतलब है कि एचपीएसईबी केंद्र की रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम ( आरडीएसएस ) के तहत प्रदेशभर में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर आगे बढ़ रहा है। प्रदेश के लगभग 24 लाख बिजली कंज्यूमर्स के घर स्मार्ट मीटर लगाने पर लगभग 1903 करोड़ रुपए खर्च किए जाने है। 

वहीं सिस्टम इम्प्रूवमेंट पर 1721 करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित है। हिमाचल सरकार वर्तमान में घरेलू कंज्यूमर्स को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दे रही है। इससे 7 लाख बिजली उपभोक्ता लाभान्वित हो रहे हैं। 

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 300 यूनिट मुफ्त बिजली का आश्वासन दे रखा है। यदि सरकार इस वादे को पूरा करती है तो इससे 24 में से 15 लाख बिजली उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली मिल जाएगी। 

मुफ्त बिजली वाले कंज्यूमर्स के घर पर लगभग 10 हजार रुपए कीमत का स्मार्ट मीटर लगाने में मुख्यमंत्री सुक्खू को कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा, क्योंकि मीटर रीडिंग का काम 500 रुपए का ऑर्डिनरी मीटर भी कर रहा है। 

इसके लिए इतने महंगे स्मार्ट मीटर की जरूरत नहीं है। लिहाजा इसे फिजूलखर्ची मानते हुए टेंडर को रद्द करने को बोला गया है। हालांकि आरडीएसएस स्कीम केंद्र की है। वहीं स्मार्ट मीटर के फायदे जरूर काफी ज्यादा है, लेकिन मुफ्त बिजली की वजह से यह घाटे का सौदा साबित हो सकते हैं। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरालाल वर्मा ने टेंडर रद्द करने के फैसले का स्वागत करते हुए बताया कि यह योजना बिजली बोर्ड को आर्थिक कंगाली की ओर धकेल सकती है। 

क्योंकि इसमें ऐसी शर्तें लगाई गई हैं कि जिन्हें पूरा नहीं कर पाने पर केंद्र से मिलने वाला बजट लोन में तब्दील हो जाएगा। इससे बिजली बोर्ड का घाटा और बढ़ेगा। एचपीएसईबी बोर्ड पर पहले ही 1800 करोड़ का घाटा हो गया है। बता दें कि इस स्कीम को लेकर बीते दिनों बिजली बोर्ड कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से मिला था और उन्होंने इसके टेंडर पर रोक लगाने का आग्रह किया था। 

बिजली बोर्ड के एमडी पंकज डडवाल ने बताया कि चार-पांच बिडर ने आवेदन कर रखा था, लेकिन कोई बिडर क्राईट-एरिया पूरा नहीं कर पा रहे थे। इसे देखते हुए टेंडर रद्द किए गए हैं।