हिमाचल में दो सीमेंट प्लांट ठप, बिक्री पर लगने वाला टैक्स न आने से 104 करोड़ का नुकसान

हिमाचल में 52 दिन से ठप पड़े दो सीमेंट उद्योगों एसीसी और अंबुजा के कारण राज्य सरकार को अब तक 104 करोड़ रुपए का झटका लगा है। यह नुकसान सीमेंट के विक्रय पर होने वाले टैक्स का है

हिमाचल में दो सीमेंट प्लांट ठप, बिक्री पर लगने वाला टैक्स न आने से 104 करोड़ का नुकसान

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला      05-02-2023

हिमाचल में 52 दिन से ठप पड़े दो सीमेंट उद्योगों एसीसी और अंबुजा के कारण राज्य सरकार को अब तक 104 करोड़ रुपए का झटका लगा है। यह नुकसान सीमेंट के विक्रय पर होने वाले टैक्स का है। इससे भी खराब स्थिति यह है कि सरकार सिर्फ इन दो सीमेंट उद्योगों के लिए ढुलाई के रेट नोटिफाई नहीं कर पा रही है। 

इसकी वजह यह है कि यह रेट ज्यादा हैं और फिर अन्य जगहों पर भी लागू होंगे, जहां इसे कम रेट पर ढुलाई हो रही है। यही वजह है कि राज्य सरकार अब भी सीमेंट कंपनी और ट्रक यूनियनों के बीच म्यूच्यूअल सहमति से ही रेट तय करना चाह रही है। गत शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई। 

बैठक में ट्रक आपरेटरों ने अडानी कंपनी को 10.15 रुपए प्रति किलोमीटर प्रति टन का रेट दिया है, लेकिन इस रेट का ऑफर भी सिर्फ दो दिन के लिए है।
मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग के प्रधान सचिव को अडानी कंपनी के साथ बात कर इस पर जवाब लेने को कहा है। यदि कंपनी नहीं मानती है, तो एक तरफा तालाबंदी, माइनिंग में हुई लापरवाही और श्रम कानूनों के आधार पर अडानी कंपनी को नोटिस दिया जाएंगे। 

यह नोटिस देने के लिए अफसरों की एक कमेटी का गठन किया गया है। हालांकि इस तरह की कार्रवाई सोमवार के बाद ही होगी, तब तक सरकार कंपनी को पूरा वक्त देना चाह रही है। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान ने बताया कि राज्य सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे यह संदेश जाए कि हम उद्योगों पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार के हितों और राज्य के लोगों की जरूरतों को समझे बगैर एक तरफा तालाबंदी भी सही नहीं है। 

यदि अडानी कंपनी नए रेट को मान ले, तो भी हर साल 200 करोड़ रुपए की बचत कंपनी को होगी। इसीलिए हम वार्ता के लिए समय दे रहे हैं। यदि यह नहीं हो पाया तो राज्य सरकार के पास कड़ी कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 

उन्होंने माना कि सीमेंट प्लांट बंद होने से राज्य सरकार को हर रोज दो करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। इस तथ्य को भी कंपनी को समझना चाहिए। फिर भी कंपनी यदि अपनी जिद पर अड़ी रही, तो सरकार के पास कड़ा कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।