हलधर और सियासत आमने सामने : 550 किसान संगठन एकजुट होकर लड़ेंगे चुनाव 

हलधर और सियासत आमने सामने : 550 किसान संगठन एकजुट होकर लड़ेंगे चुनाव 

न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली  16-07-2021

किसान आंदोलन में शामिल विभिन्न कृषक संगठनों के बीच खुद को 'राजनीतिक' बनाने की चर्चा चल रही है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि 'हलधर' के सामने 'सियासत' में हाथ आजमाने की नौबत क्यों आ गई है।

हालांकि 'संयुक्त किसान मोर्चा' इस पर स्पष्ट तौर पर कुछ बोलने से कतरा रहा है, लेकिन मोर्चे के सदस्य अविक साहा ने कह दिया है कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल 550 किसान संगठन चुनाव संबंधी फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

समन्वय समिति या संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कोई भी चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। मोर्चे में शामिल अधिकांश पदाधिकारी अतीत में किसी न किसी प्लेटफार्म के जरिए राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं।

गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने मिशन पंजाब के तहत जब विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए किसान संगठनों को सलाह दी तो उन्हें सात दिन तक निलंबित कर दिया गया।

संगठन के साथ लंबे समय तक काम कर चुके उत्तर प्रदेश व राजस्थान के दो किसान नेता कहते हैं, किसान आंदोलन के सामने अब 'सियासत' में उतरने के अलावा दूसरा कोई चारा ही नहीं है।

अगले साल यूपी और पंजाब समेत सात राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, अगर अब भी केंद्र सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी है तो किसान संगठनों को इशारा समझ लेना चाहिए। लंबे समय तक आंदोलन, यह रिकॉर्ड बनाने से किसान और उनके नेताओं को कुछ हासिल नहीं होगा।

गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चे की समन्वय समिति ने कहा कि यह आंदोलन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की पहल पर तीनों किसान विरोधी कानून रद्द कराने, बिजली संशोधन बिल वापस कराने तथा एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी किसानों को दिलाने के लिए शुरू किया गया है। हमारा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है।

आगामी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों के चुनाव में भाजपा को वोट की चोट देने का अभियान जारी रहेगा। अगर किसी संगठन को लगता है कि उसे चुनाव में उतरना चाहिए तो वह स्वतंत्र है। संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर तले राजनीतिक गतिविधि नहीं होगी।