गुरु पूर्णिमा पर स्वामी श्यामानंद आश्रम की समाधि पर पहुंचे भक्त
यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़ 06-07-2020
गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर स्वामी श्यामानंद आश्रम की नेरीपुल स्थित समाधि पर उनके शिष्य और श्रद्धालु एकत्रित हुए । चूड़धार से स्वामी कामलानंद अपने गुरुजी की समाधि पर पहुंचे । स्वामी जी ने पूजा अर्चना के उपरांत ब्रह्मभोज भी करवाया।
उन्होंने बताया कि 2 दिन समाधि पर रुकने के बाद पुनः चूड़धार के लिए प्रस्थान करेंगे । उन्होंने कहा कि प्रशासन के दिशा निर्देशों के अनुसार इस वर्ष गुरुपूर्णिमा का कार्यक्रम सूक्ष्म रूप में मनाया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम में भाग लेने आये स्वामी श्यामानंद के शिष्यों राजेश शर्मा और नितिन वल्याट ने बताया कि स्वामी श्यामानंद आश्रम एक वीतरागी महात्मा थे जिनके श्रीचरण सौभाग्य से राजगढ़ क्षेत्र में पड़े।
स्वामी श्यामानंद सबसे पहले 1971 में चूड़धार आये थे। उन्होनें इसे अपनी तपोभूमि बनाने का निश्चय किया और 12 साल वहीं रहकर मौन रहकर तपस्या की। उसके बाद उन्होंने अपने गुरु की आज्ञा मानते हुए नंगे पांव भारत भ्रमण किया ।
इस पूरे भारत भ्रमण में उन्हें 4 साल 11 महीने और 11 दिन लगे। चूड़धार और हरिपुरधार स्थित माता के मंदिर में बलि प्रथा को बंद कराने में स्वामी श्यामानंद की प्रमुख भूमिका रही । चूड़धार का भंडारा जो आज भी चलता है वो भी स्वामी श्यामानंद की देन है।
गुरु पूर्णिमा पर स्वामी श्यामानंद आश्रम की समाधि पर पहुंचे भक्त
25 दिसम्बर 2005 को स्वामीजी ने नेरीपुल स्थित प्राचीन धार्मिक स्थान पर समाधि ले ली थी। वहाँ पर स्वामी जी की समाधि बनी है जहाँ उनके शिष्य और भक्त अक्सर दर्शनार्थ जाते हैं । उन्होनें बताया कि स्वामी श्यामानंद आश्रम जैसे संत महापुरुषों का सानिध्य समाज को सत्य और धर्म की राह से विचलित नहीं होने देता।