जेबीटी कमीशन में एनसीटीई के अनुसार छात्रों को प्राथमिकता न मिलने पर भड़की विद्यार्थी परिषद 

जेबीटी कमीशन में एनसीटीई के अनुसार छात्रों को प्राथमिकता न मिलने पर भड़की विद्यार्थी परिषद 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   02-07-2020

प्रांत मंत्री राहुल राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें की प्रमुख मांग यह है कि जो जेबीटी कमीशन में एनसीटीई की अधिसूचना के अनुसार बीएड  के छात्रों को शामिल किया जा रहा है और जेबीटी के छात्रों को कोई प्रथमिकता नही दी जा रही है।  

जिसका विद्यार्थी परिषद पुरजोर विरोध करती है। इसके पीछे उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि जो जेबीटी प्रशिक्षु द्वारा प्राथमिक स्तर पर सभी विषयों को पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। वही दूसरी ओर b.ed के प्रशिक्षु द्वारा किन्ही दो विषय को पढ़ाए जाता है। 

जेबीटी और बीएड के पाठ्यक्रम में बहुत अंतर होता है,जेबीटी प्रशिक्षु की न्यूनतम योग्यता 12वी पास और बीएड के लिए स्नातक रखी गई है अतः अंतर स्पष्ट दिखाई दे रहा है और इस प्रकार का निर्णय न्यायसंगत नही है।

इस प्रकार की असमानता को देखते हुए भी ऐसे निर्णय उचित नहीं है। वर्तमान समय मे राज्य में 25000 जेबीटी प्रशिक्षु प्रशिक्षित है।

अब इसमें राज्य सरकार को भी विचार करना होगा की ऐसे में बीएड प्रशिक्षु को जेबीटी के साथ टेट व कमीशन में बैठने देना न्यायसंगत है या नहीं।

लाखों की तादाद में बीएड प्रशिक्षु को जेबीटी के कमीशन में बैठने देने का मतलब जेबीटी प्रशिक्षु का हक छीनने जैसा है।

उत्तरांचल, बिहार एवम अन्य राज्यो में प्रदेश सरकार ने को जेबीटी छात्रों का पक्ष लेते हुए कोर्ट में प्रभावी ढंग से यह दलील दी और आखिर में कोर्ट ने जेबीटी के छात्रों को प्राथमिकता देने का फैसला सुनाया।

विद्यार्थी परिषद प्रदेश में  ऐसे निर्णय का विरोध करती है और साथी मांग करती है कि लाखों की तादाद में जेबीटी प्रशिक्षुओ के साथ ऐसा न किया जाए।

जेबीटी में अलग से दो साल का प्रक्षिण दिया जाता है यदि जेबीटी और बीएड को एक साथ रख दिया जाएगा तो जेबीटी प्रशिक्षु के दो साल के अलग प्रशिक्षण का कोई वजूद नही रह जायेगा। 

इस प्रकार के निर्णय में शीघ्र बदलाव किया जाए और जेबीटी प्रशिक्षुओं को उनके हक से वंचित न रखा जाएं और वर्तमान में राज्य के लगभग 25000 जेबीटी प्रशिक्षुओं के साथ उचित न्याय किया जाए।