पूरे विश्व में बजता था भारतीय बुद्धिमत्ता का डंका, तक्षशिला में था विश्व का पहला विश्वविद्यालय : प्रो. खोसला 

पूरे विश्व में बजता था भारतीय बुद्धिमत्ता का डंका, तक्षशिला में था विश्व का पहला विश्वविद्यालय : प्रो. खोसला 

स्वराज संघर्ष में हिमाचल का योगदान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन


यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन  03-10-2021


अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति हिमाचल प्रदेश तथा भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद भारत सरकार हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला एवं इतिहास शोघ संस्थान नेरी संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव की बेला पर स्वराज संघर्ष में हिमाचल प्रदेश का योगदान ( सिरमौर, सोलन , शिमला व किन्नौर )विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन इतिहास संकलन समिति सोलन के  सहयोग  सोलन के सिल्ब इंस्टीट्यूट में किया गया।

शूलिनी यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. पीके खोसला संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे, जबकि अध्यक्षता अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. प्रशांत गौरव ने की।

बीज वक्ता रूप में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला में डॉ. परमार पीठ के अध्यक्ष डॉ ओमप्रकाश शर्मा रहे। सिल्ब इंस्टीट्यूट की निदेशक  सरोज खोसला ने विशेष अतिथि के तौर पर शिरकत की। 

इस मौके पर बोलते हुए मुख्य अतिथि प्रो. पीके खोसला ने बताया कि भारतीय बुद्धिमत्ता का डंका पूरे विश्व में बजता था और विश्व का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला में था।

भारतीय विचार सरणियों का प्रभाव पूरी दुनिया में अब भी देखने को मिलता है। हमें अपने इतिहास को कभी नहीं भूलना चाहिए। बीज वक्ता डॉ. ओमप्रकाश शर्मा ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिमाचल प्रदेश के योगदान पर विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने 1857 से लेकर 1947 तक के घटनाक्रम को क्रमबद्धता से प्रस्तुत किया। इसके अलावा इंद्र सिंह डोगरा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। 

इस अवसर भाषा कला अकादमी हिमाचल प्रदेश के सचिव डॉ. कर्म सिंह,  इतिहास शोध संस्थान नेरी के निदेशक डॉ.चेतराम गर्ग, अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति हिमाचल प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.सूरत ठाकुर के अलावा  शिव सिंह चौहान, डॉ.रामगोपाल शर्मा, डॉ. विशाल राणा, डॉ. सत्यव्रत भारद्वाज, कर्नल अरुण कैंथला, निहालचंद ठाकुर, बाबू लाल गोयल,डॉ. दीनदयाल वर्मा, केश्वा नंद शास्त्री, राघवानंद शास्त्री, नागरमल गोयल, विपुल गोयल, शैलेंद्र कंवर, डॉ. शंकर वासिष्ठ, डॉ. प्रेम लाल गौतम, शूलिनी यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. राजेश, डॉ. सुरेश शर्मा, यादविंद्र चौहान समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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                               इन्होंने प्रस्तुत किए शोध पत्र

 डॉ. राजेश चौहान ने 1857 की क्रांति में सोलन एवं शिमला जिला के योगदान, विद्यानंद सरैक ने सिरमौर प्रजामंडल का सक्रिय आंदोलन, डॉ. शारदा देवी ने प्रजामंडल के उन्नायक भागमल सोहटा, जयप्रकाश चौहान ने पझौता आंदोलन विशेष संदर्भ वैद्य सूरत सिंह, आचार्य ओमप्रकाश राही ने हृदयराम पांथ, कल्पना परमार ने हिमाचल, गांधी और स्वराज आंदोलन, केआर कश्यप ने 1857 से 1947 शिमला हिल्स स्टेट, शिव भारद्वाज ने स्वराज संघर्ष में सामाजिक, राजनीतिक संस्थाओं का योगदान, डॉ. मनोज शर्मा ने सिरमौर में भू आंदोलन, धर्मेंद्र कुमार ने राम प्रसाद बैरागी का योगदान, चंद्र वर्मा ने धामी प्रेम प्रचारिणी सभा पर, भुवनेश्वरी ने कुनिहार प्रजामंडल जनप्रतिकार की समीक्षा, बारू राम ठाकुर ने सिरमौर प्रजामंडल के जननायक शिवानंद रमौल, सुनीता ने स्वतंत्रता संघर्ष में हिमाचल की महिलाओं का योगदान विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन शिव भारद्वाज ने किया।