पांवटा क्षेत्र में बुखार की चपेट में आ रहे नौनिहाल , चार दिनों में 100 अधिक बच्चे पहुंचे अस्पताल

पांवटा क्षेत्र में बुखार की चपेट में आ रहे नौनिहाल , चार दिनों में 100 अधिक बच्चे पहुंचे अस्पताल

पांवटा में बच्चों में बुखार का बढ़ा प्रकोप,कहीं तीसरी लहर तो नही 


अंकिता नेगी - पांवटा साहिब  04-10-2021

उपमंडल पांवटा साहिब क्षेत्र के बच्चों में बुखार व खांसी के प्रकोप से हड़कंप मच गया है,बता दे की  यहां बीते चार दिनों से लगभग सौ से ज्यादा बच्चों को गंभीर हालत में सिविल अस्पताल पांवटा  में भर्ती करवाया गया है,जिनकी हालत काफी नाजुक है।

वहीं अभिभावकों अब यह चिंता सताने लगी है कि कहीं कोरोना की तीसरी लहर तो नही है,जिसके कारण आज बच्चों की हालत इस कदर बनी हुई है की उनका बुखार समय और भी नही उतर रहा है ।

बता दे की सिविल अस्पताल में रोगियों को अपेक्षित निशुल्क दवाएं नही मिल रही हैं।

अस्पताल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इलाके के बच्चों में बुखार, खांसी के मामलों में बढ़े पैमाने पर इजाफा हुआ है, इससे अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं।

यंगवार्ता की टीम जब सिविल अस्पताल पहुंची तो डाटा एकत्रित करते हुए यह देखा की केवल सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में ही पिछले चार दिनों में 100 से अधिक रोगी भर्ती किए गए हैं, सोमवार सुबह को अस्पताल में 30 से अधिक रोगी भर्ती थे।

जहां एक और खांसी बुखार से रोगियों में इजाफा हुआ है वहीं अस्पताल में दवाओं की कमी देखने को मिली है। 

अब आलम यह है कि बुखार के संकट में अस्पताल में पैरासिटामोल टेबलेट भी उपलब्ध नही है,जो चिंता का विषय बन गई है,रोगी बाहर से महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।

अस्पताल में पहुंचने वाले रोगियों में ज्यादा तादात ग्रामीण क्षेत्रों से है। जिसमें क्यारदा, मिश्रवाला, सैनवाला, पुरुवाला, बायला, सतौन, अमरकोट रामपुरघाट आदि इलाके शामिल हैं। 

अभिभावकों में चिंता का एक कारण ये भी है कि उन्हें कोरोना की तीसरी लहर का भय सता रहा है।

हालंकि बाल रोग विशेषज्ञ और प्रभारी वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ अमिताभ जैन इसे रूटीन बता रहे हैं। वे कहते हैं कि इसमें कोरोना की तीसरी लहर जैसी कोई बात नही है।

जब इस बारे में डॉक्टर अमिताभ जैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मौसम के बदलाव के दौरान आमतौर पर बुखार खांसी के रोगियों में इजाफा होता है ,लेकिन स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। 

रोगियों के आवश्यकता अनुसार भर्ती किया जा रहा है,इतना ही नही अधिकतर रोगियों को स्वस्थ होने के पश्चात अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।द

दवाओं की कमी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अचानक रोगियों की संख्या में इजाफा होने के कारण कुछ दवाओं की शोर्टेज हुई है। इस बारे में समस्या आला अधिकारियों के संज्ञान में ला दी गई है।

 

जब यंगवार्ता की टीम ने मौजूद नर्स से पूछा तो उन्होंने कहा कि यहाँ से बच्चे बहुत कम रेफर किये हैं,लेकिन दवा का यूँ खत्म होना चिंता का विषय है,क्योंकि यह एकमात्र ऐसा अस्पताल हे जहाँ दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र से लोग आते हैं।


और आज भी यह लोग उम्मीद लगाए आए हैं कि हमारा बच्चा ठीक होकर अस्पताल से घर जाएगा,कई बच्चों की हालत बहुत नाजुक है, जिनके माता पिता का कहना है कि दवा चल रही है।