भौतिक सुख से मानसिक सुख है अधिक लाभकारी : दलाई लामा
यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला 06-06-2020
तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की उपस्थिति में शुक्रवार को मैक्लोडगंज स्थित उनके अस्थायी निवास स्थान में बुद्ध पूर्णिमा पर बोधिचित्त समारोह आयोजित किया गया।
कोरोना वायरस की फैली महामारी के चलते दलाई लामा ने अपने निवास से पूर्णिमा के दिन बोधिचित्त समारोह के अवसर पर गौतम बुद्ध की शिक्षाएं दीं।
उन्होंने बोधिसत्व प्राप्ति के 7 अभ्यास के बारे में विस्तारपूर्वक श्रद्धालुओं को जानकारी देते हुए कहा कि धार्मिक बनने के लिए मन को शुद्ध करने की आवश्यकता है। मन तभी शुद्ध होगा, जब हम अपने अंदर के गलत विचारों को नष्ट कर बोधित्व को प्राप्त कर सकते हैं।
भौतिक विकास से शारीरक सुख मिलता है लेकिन मानसिक सुख करुणा, प्रेम और मैत्री से प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को दुखी बनाने का मूल कारक अविद्या है। परहित के लिए दया, करुणा ज़रूरी है। यह बुद्धत्व से प्राप्त होता है।
भगवान बुद्ध ने कहा है कि धन से नहीं, बोधिचित्त का पाठ करने से लाभ मिलता है। धर्म का अभ्यास जरूरी है। जो लोग दुखी हैं, उनका दुख हाथों से नहीं हटाया जा सकता। इसलिए बुद्ध ने बोधि ज्ञान को समझा। दलाई लामा ने कहा कि स्वार्थ की भावना का त्याग किए बिना सुख नहीं मिल सकता।
द्वेष से बढ़कर कोई पाप नहीं है। क्रोध करने वाला सुखी नहीं रहता है। दुनिया में ज्यादा समस्याएं ईष्र्या व बैर की वजह से हैं। इन्हें शून्यता के सिद्धांत से नष्ट किया जा सकता है। क्षमा से बढ़कर कोई पुण्य नहीं।