मिसाल : मेरठ के पांचवी पास नियाज के सामने ब्रिज बनाने में इंजीनियर भी फेल

मिसाल : मेरठ के पांचवी पास नियाज के सामने ब्रिज बनाने में इंजीनियर भी फेल

यंगवार्ता न्यूज़ - लाहौल-स्पीति   26-08-2020

कामयाबी महज किताबी ज्ञान से ही नहीं, अनुभव से भी हासिल होती है। मेरठ के 45 वर्षीय नियाज मोहम्मद उर्फ ब्रिज मैन ने यह साबित कर दिखाया है। महज पांचवीं कक्षा पास नियाज के सामने बैली ब्रिज बनाने में आज बड़े-बड़े इंजीनियर भी बौने नजर आते हैं। 

देश की सीमाओं से गुजरने वाली सामरिक सड़कों पर नियाज अब तक दो दर्जन से अधिक ब्रिज बना चुका है। हाल ही में नियाज ने मनाली-लेह सामरिक मार्ग पर बने सबसे लंबे 360 मीटर दारचा पुल के साथ ही अटल टनल रोहतांग को मनाली-लेह मार्ग पर जोड़ने वाले चंद्रा ब्रिज के सुपर स्ट्रक्चर को बनाया है। 

इसके लिए उसे बस कोरे कागज पर बने पुल का नक्शा चाहिए होता है। पुल बनाने के अलावा नियाज फैब्रिकेशन भी खुद करते हैं। नियाज को पुल निर्माण में करीब 22 साल का अनुभव है। ब्रिज निर्माण का काम इनका खानदानी पेशा है।

हरिद्वार में ऋषिकेश झूले का निर्माण नियाज के दादा ने ही किया था। नियाज की इस प्रतिभा से प्रभावित होकर सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक उसे मेडल से सम्मानित कर चुके हैं। 

नियाज बताते हैं सीमा सड़क संगठन के अलावा है देश के बाहर भूटान और नेपाल में अब तक 100 से अधिक पुलों का फैब्रिकेशन के साथ बना चुका है। कहते हैं कि ब्रिज निर्माण का काम उनका खानदानी पेशा है। काम के कारण वह कभी तो साल तक घर नहीं जा पाते हैं। 

नियाज ने बताया कि अटल टनल रोहतांग के नॉर्थ पोर्टल पर बने पुल को लांच करना एक चुनौती से कम नहीं था। इस दौरान उन्हें 80 किमी की रफ्तार से चलने वाले तूफान का भी सामना करना पड़ा है। 

गर्ग एंड गर्ग कंपनी के मैनेजर प्यारे लाल ने बताया कि नियाज पिछले करीब 22 सालों से उनकी कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं। उनकी इस असाधारण प्रतिभा के कारण उन्हें ब्रिज मैन के नाम से भी जाना जाता है।