जिला स्तरीय बैशाखी मेला राजगढ़ खटटी-मीठी यादों के साथ बीते कल संपन हो गया। मेले की अव्यवस्थाओं को लेकर रविवार को और शिमला संसदीय क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता संजीव शर्मा और पच्छाद कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजकुमार ठाकुर ने प्रेस वार्ता की तथा मेले के राजनीतिकरण और अव्यवस्थाओं बारे अनेक सवाल खड़े किए गए है। इनका आरोप है कि मेले का पूर्ण रूप से राजनीतिकरण कर दिया गया है। भाजपा के छुटभैया नेता मंच के सामने लगी कुर्सियां पर सबसे पहले आकर कब्जा कर लेते थे जिससे अनेकों बार अधिकारियों को भी खड़े रहने की नौबत आ गई। अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि नगर पंचायत के चुने पार्षदों को भी बैठने को सीट नहीं मिली। इनका कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री प्रवास के दौरान राजगढ़ क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था का जायजा लेते।
तीन वर्ष पहले सीएम द्वारा जो राजगढ़ अस्पताल को एक सौ बिस्तर बनाने की घोषणा की गई थी जोकि तीन वर्षों में धरातल पर नहीं उतरी थी कि वही घोषणा स्वास्थ्य मंत्री कर गए। इस अस्पताल से पांच विशेषज्ञ चिकित्सक चले गए है और तीन माह बाद दो विशेषज्ञ चिकित्सक जाने की तैयार में हैं। स्थानीय विधायक क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्याओं को मंत्री के समक्ष नहीं रख सकी। सात महीने पहले अधिसूचना जारी होने के बावजूद आजतक राजगढ़ में बीएमओ का पद नहीं भरा जा सका। इनका का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि लोकसभा सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप राजगढ़ की जनता से मुहं नहीं दिखा पा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सुरेश कश्यप मेले के दौरान सिर्फ शिरगुल मंदिर तक आए और वहीं से वापिस चले गए जबकि उन्हें मेले में आना चाहिए था। इनका आरोप है कि सांसद बनने के उपरांत सुरेश कश्यप ने राजगढ़ की जनता से अपना नाता तोड़ दिया है जबकि लोगों ने मत देकर उन्हें दो बार विधायक और सांसद बनाया हैं। इसके अतिरिक्त राजगढ़ के हाब्बन व खैरी से आए राजेश कुमार, देवराज, इंद्र सिंह, रामलाल सहित अनेक लोगों ने बताया कि मेले में सिफारिशों कलाकारों को सबसे ज्यादा मौका दिया गया जिनका संगीत से दूर दूर तक कोई नाता नहीं रहा। यह कलाकार बेसुरा गाकर लोगों को बोर कर रहे थे।
इनका कहना है कि जो मुख्य कलाकार पहले भी मेले में कई बार कार्यक्रम देते रहे उन्हीं कलाकारों को इस बार भी बुलाया गया। न कोई ऑडिशन रखी गई और न ही भाषा विभाग अथवा लोक संपर्क विभाग के अधिकारियों को कलाकारों के चयन के लिए समिति में शामिल किया गया। सभी कलाकारों का चयन सिफारिशों के आधार पर होता रहा। सबसे अहम बात यह रही कि जब तक मुख्य कलाकार मंच पर आता तब तक रात्रि के दस बज जाते थे। मेले में प्रेस दीर्घा में हर कोई बैठता रहा जिससे मिडिया कर्मियों को कवरेज करने में काफी दिक्कत पेश आई। अव्यवस्था का आलम यह है कि नगर पंचायत द्वारा अस्थाई शौचालय नहीं बनाए गए थे जिससे मेले में आए विशेषकर महिलाओं को काफी दिक्कत पेश आई।
मेले में पानी व सफाई व्यवस्था भी काफी चरमराई हुई थी। मेले में आने वाले लोगों के लिए परिवहन निगम द्वारा कोई भी स्पेशल बसें नहीं लगाई गई थी जिस कारण लोगों को वापिस घर जाने में काफी परेशानी पेश आई। यही नहीं मेले में खाने पीने की वस्तुओं की गुणवता की जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी लोग धूल के कण वाली मिठाईयां व अन्य खाद्य पदार्थ इस्तेमाल करते रहे।