यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 28-05-2022
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने शनिवार को सोलन में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) के हिमालयन फॉनल रिपोजिटरी कम म्यूजियम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारी समृद्ध परंपरा और विरासत को सबके सामने लाने के लिए गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस हिमालयन फॉनल रिपोजिटरी कम म्यूजियम के लिए वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की।राज्यपाल ने कहा कि इस खजाने को जनता तक पहुंचाने और भविष्य के लिए इसे संरक्षित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि उन्हें न तो पशु संग्रह को संग्रहित करने के लिए स्थापित किया है, न ही प्रदर्शित करने के लिए, बल्कि हिमाचल में जनता, निवासियों या आगंतुकों को, हमारे जीव- जंतुओं के बारे में, और हमारे वर्तमान और इस महान देश में हमारे स्थान के बारे में शिक्षित करने के लिए स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय हमारी समृद्ध संपदा, हमारे प्राचीन पर्यावरण और हमारे अनुभवों को आज के परिप्रेक्ष्य में प्रदर्शित करता है।
यह रिपोजिटरी कम म्यूजियम हमारी भारतीय सांस्कृतिक पहचान का एक उदाहरण दर्शाता है। रिपोजिटरी कम म्यूजियम अतीत के गोदाम नहीं हैं, बल्कि हमारा वर्तमान है, जो हमें अपनी समृद्ध जैव विविधता और भारत को सामान्य रूप से दुनिया के भीतर कैसे देखते हैं। आर्लेकर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोग और भारत के अन्य लोग इस बात से अवगत थे कि जेडएसआई ने यहां जो संग्रहालय स्थापित किए हैं, वे उनके देखने, शिक्षित करने, सीखने, जागरूक करने, आनंद लेने, प्रतिबिंबित करने के लिए हैं।
हिमाचल पश्चिमी हिमालय के केंद्र में स्थित है, जिसे जैव विविधता हॉट स्पॉट के रूप में पहचाना जाता है और इसे बहुत समृद्ध जैव विविधता से सम्मानित किया गया है, उन्होंने कहा और कहा कि हिमालय के वन्य जीव मूल्यवान थे और उनका जीवन अनमोल और अमूल्य था। उन्होंने कहा कि हमें अवश्य भविष्य की पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए इसकी रक्षा करें। इस अवसर पर जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने राज्यपाल को सम्मानित किया और उनका स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के हिमालयन फॉनल रिपोजिटरी कम म्यूजियम हमारे जीव-जंतुओं की संपत्ति की कहानी बताता है। यह आगंतुकों को हिमाचल प्रदेश की प्रकृति, जैव विविधता और बहुत कुछ के बारे में अधिक जानने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि यह भारत ने क्या किया है, और वह क्या करने की इच्छा रखता है, इस पर प्रतिबिंब के लिए जगह प्रदान करता है। जनता और अन्य वैज्ञानिक, संग्रहालयों और भंडारों के माध्यम से अपने और दूसरों के साथ संवाद के माहौल को पूरा करना चाहता है, ताकि हमारे लोगों को हमारे भविष्य को आकार देने में एक प्रबुद्ध आवाज मिल सकें।
जेडएसआई के पूर्व निदेशक डॉ. के. वेंकटरमण ने भी प्राणी सर्वेक्षण और संग्रहालय के ऐतिहासिक पहलुओं के बारे में जानकारी दी। जेडएसआई सोलन की प्रभारी अधिकारी डॉ. अवतार कौर सिद्धू ने जेडएसआई सोलन की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वह किस तरह विपरीत परिस्थितियों में जीव- जंतुओं का सर्वेक्षण कर उनका डॉक्युमेंटेशन करते हैं।
जेडएसआई सोलन के वैज्ञानिक डॉ. बोनी अमीन लस्कर ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। इस मौके पर डीसी सोलन कृतिका कुल्हारी,एसपी सोलन वीरेंद्र शर्मा , शूलिनी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. पी.के. खोसला, डीएमआर सोलन के निदेशक डॉ. वी.पी. शर्मा, निदेशक, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएल अत्री, जेएसआई के वैज्ञानिक कमल सैनी समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।