सिरमौर में पहली बार धान की खड़ी फसल वायरस की चपेट में आने से किसान परेशान 

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पहली बार धान की खड़ी फसल वायरस की चपेट में आ गई है। पांवटा साहिब में इस वायरस से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ

सिरमौर में पहली बार धान की खड़ी फसल वायरस की चपेट में आने से किसान परेशान 

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन      31-08-2022

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पहली बार धान की खड़ी फसल वायरस की चपेट में आ गई है। पांवटा साहिब में इस वायरस से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इस वायरस को एसआरबीएसडीवी का नाम दिया गया है। 

वायरस अब तक किसानों की अलग-अलग हिस्सों में 20-50 फीसदी फसल को नुकसान पहुंचा चुका है। पहली बार ऐसा हुआ है कि धान की फसल वायरस की चपेट में आई है। बताया जा रहा है कि ये चीनी वायरस है। इसे पहली बार 2001 में रिपोर्ट किया गया था। अब ये वायरस उत्तर भारत में धान की फसल को प्रभावित कर रहा है।

सिरमौर में 7,000 हेक्टेयर भूमि में धान की पैदावार होती है। गत वर्ष जिले में एफसीआई ने 15,000 मीट्रिक टन धान की खरीद की। गत वर्ष कृषि विभाग ने 20,000 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस साल पुराने लक्ष्य को हासिल करना भी काफी मुश्किल हो गया है। 

पांवटा साहिब के अलावा नाहन विकास खंड के विभिन्न हिस्सों में भी धान का उत्पादन किया जा रहा है। कृषि उपनिदेशक सिरमौर डॉ. राजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि धान वायरस की चपेट में आई है। 

किसानों को नियमित रूप से डब्ल्यूबीपीएच कम करने के लिए फसल की निगरानी के साथ कुछ पौधों को थोड़ा झुकाकर साप्ताहिक अंतराल पर 2-3 बार टैप करना चाहिए। यदि डब्ल्यूबीपीएच लिम्फ वयस्क पानी पर तैरते हुए दिखाई दें तो कीटनाशकों का छिड़काव करें। संवाद

वैज्ञानिकों के अनुसार इस वायरस को एसआरबीएसडीवी का नाम दिया गया है। इस वायरस को डब्ल्यूबीपीएच यानी एक सफेद पीठ वाला टिड्डा अपने साथ लेकर फसलों में तेजी से फैल रहा है। वैज्ञानिक इस वायरस की रोकथाम को लेकर शोध करने में जुटे हैं। इससे धान की फसल का विकास रुक गया है। कई जगह फसल पीली पड़ने लगी है। जड़ें सफेद की जगह लाल पड़ गईं हैं और नई जड़ों का विकास नहीं हो पा रहा है। 

पांवटा साहिब वैली की कुंडियों, जामनीवाला, मिश्रवाला, माजरा, फतेहपुर, मटक माजरी, बहराल, पुरूवाला, नवादा और खोड़ोंवाला पंचायतों के कई गांवों में धान को नुकसान पहुंचा है। किसान भजन चौधरी, दाराराम, रमेश, सतपाल और गंगूराम आदि ने बताया कि धान की फसल रोग की चपेट में आई है। किसानों ने संबंधित विभाग से फसल का निरीक्षण कर उचित मुआवजा देने की मांग की है।