हिमाचल के बागवानों पर गर्म मौसम की मार, कुल्लू में 35 हजार सेब के पौधे सूखे 

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के बागवानों पर गर्म मौसम की भारी मार पड़ने लगी है। कुल्लू जिले में तापमान चढ़ने के चलते बागवानों के 35,000 सेब के पौधे सूख गए

हिमाचल के बागवानों पर गर्म मौसम की मार, कुल्लू में 35 हजार सेब के पौधे सूखे 

यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू   03-05-2022

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के बागवानों पर गर्म मौसम की भारी मार पड़ने लगी है। कुल्लू जिले में तापमान चढ़ने के चलते बागवानों के 35,000 सेब के पौधे सूख गए। इससे बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। लाखों रुपये खर्च कर बागवानों ने बगीचों में नई पौध तैयार की थी। 

पारा चढ़ने के कारण बगीचों में नमी न रहने से एक से तीन साल तक के सेब के पौधे सूख गए।  जिले में बागवानी विभाग की अप्रैल की रिपोर्ट में सेब के हजारों पौधे सूखने का खुलासा हुआ है। विभाग के पास सेब के पौधों के मुरझाने की शिकायतें आ रही थीं। 

इसके बाद विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने बगीचों में जाकर रिपोर्ट तैयार की। इसमें पता चला कि एक से तीन साल के पौधे सूख गए हैं। बागवानों ने 100 से 300 रुपये प्रति पौधे की खरीद विभाग और निजी नर्सरियों से की थी।

बागवान जगदीश ठाकुर, दुनी चंद, हीरा लाल, लीला प्रसाद, जगदीश कुमार तथा लाल चंद ठाकुर ने बताया कि इस साल सर्दी में लगाए पौधों के साथ दो सेे तीन साल पुराने पौधों पर सूखे का असर पड़ा है। सबसे पहले पौधों की पत्तियां सूख रही हैं। इसके बाद टहनी और बाद में पूरा पौधा सूख रहा है। 

एक माह में सेब के हजारों पौधों के सूखने से बागवान चिंतित हैं। सूखे से सेब को अधिक नुकसान न हो, इसके लिए बागवानों को जागरूक किया जा रहा है। बागवानी विभाग कुल्लू के विशेषज्ञ उत्तम पराशर ने बताया कि अप्रैल में सेब के करीब 35,000 पौधे सूखे गए हैं। 

सबसे ज्यादा नुकसान जिला कुल्लू के बाह्य सराज, आनी और निरमंड में हुआ है। यहां करीब 25,000 पौधे सूखे की चपेट में आए हैं। नुकसान अभी और बढ़ सकता है। कुल्लू के बागवान अब सेब की अर्ली वैरायटी लगा रहे हैं। 

इसमें सुपरचीफ, रेड विलोक्स, रेड गाला, स्कॉरलेट, जेरोमाइन, वाशिंगटन स्पर वैरायटी और रॉयल शामिल हैं। इन्हें सूखे से अधिक नुकसान पहुंचा है। बागवानों ने 100 से 300 रुपये प्रति पौधा बागवानी विभाग व निजी नर्सरी से खरीदा था। 

सूख रहे सेब के पौधों को बचाने के लिए बागवानों को सिंचाई करनी होगी। जहां पानी की व्यवस्था है, वहां सिंचाई की जा सकती है। अगर सिंचाई की सुविधा नहीं है तो बागवान पौधों के आसपास घास डालकर रखें, ताकि नमी बनी रहे। -बीएम चौहान, उपनिदेशक, बागवानी विभाग