अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव में पहली बार छोटी काशी में निकलेगी बाबा भूतनाथ की जलेब
अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव के इतिहास में पहली बार छोटी काशी मंडी के अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ की जलेब भी निकलेगी। महोत्सव में इससे पहले तीन जलेब ही निकाली जाती थीं
यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी 11-02-2023
अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव के इतिहास में पहली बार छोटी काशी मंडी के अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ की जलेब भी निकलेगी। महोत्सव में इससे पहले तीन जलेब ही निकाली जाती थीं।
बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने प्रशासन और मेला कमेटी के अध्यक्ष को सुझाव दिया था कि जिनके नाम पर यह पूरा महोत्सव चलता है, उनकी कोई जलेब नहीं निकलती है। प्रशासन ने उनकी मांग पर बाबा भूतनाथ की जलेब निकालने का फैसला किया।
यह जलेब 23 फरवरी को निकाली जाएगी। जलेब ब्यास नदी से शुरू होगी। न्यू विक्टोरिया से सेरी मंच होते हुए बाबा भूतनाथ मंदिर तक आएगी। फिर बाबा भूतनाथ मंदिर से ब्यास तक वापस होगी। जलेब का समय 23 फरवरी को 11:00 से 3:00 बजे तक रहेगा।
उधर, मेला कमेटी के अध्यक्ष एवं उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने बताया कि मंदिर के महंत की मांग पर चौथी जलेब निकालने का निर्णय किया गया है। अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव 19 से 25 फरवरी तक होगा। इस बार चार जलेब निकलेंगी।
पहली जलेब 19 फरवरी, दूसरी जलेब 22 फरवरी, तीसरी जलेब 23 फरवरी को निकलेगी। बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि भोलेनाथ की इच्छानुसार जलेब निकाली जा रही है। यह मंडी के लोगों के प्रिय बाबा भूतनाथ की जलेब है।
महाशिवरात्रि महोत्सव में ऐतिहासिक क्षण को गौरवमयी बनाने के लिए लोग भारी संख्या में पहुंचें और बाबा भूतनाथ का आशीर्वाद लें, यही कामना है। लोगों की सहभागिता से ही जलेब होगी।
छोटी काशी के अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव का शुभारंभ बाबा भूतनाथ के मंदिर से होता है। देवता माधोराय की पालकी भूतनाथ मंदिर में जाती है। यहां पूजा-अर्चना के बाद मेले का आगाज होता है। इस दौरान मंदिर परिसर में विभिन्न देवी-देवता ठहरते हैं।
बाबा भूतनाथ के मंदिर का निर्माण 1527 ईस्वी में राजा अजबेर सेन ने शिखारा शैली से करवाया था। यहां बाबा भूतनाथ की श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। देश-विदेश के सैलानियों के लिए भी मंडी शहर में बसा यह मंदिर आकर्षण का केंद्र रहता है।
मान्यता है कि प्राचीन समय में एक ग्वाला अपनी गाय चराने के लिए मंडी आता था। गाय एक स्थान पर खड़ी हो जाती और उसके थनों से अपने आप दूध निकलने लगता। यह बात चारों ओर फैल गई।
इसी बीच, राजा अजबेर सेन को भगवान शिव ने सपने में आकर कहा कि उक्त स्थान पर उनका शिवलिंग है। सपना आने के अगले दिन जब राजा ने वहां खोदाई करवाई तो स्वयं-भू प्रकट शिवलिंग मिला। इसके बाद राजा ने शिखरा शैली में एक मंदिर का निर्माण करवाया।