अब कौड़ियों के भाव नहीं बिकेगी जड़ी-बूटियां, खरीद के लिए प्रदेश में नौ केंद्रों का चयन  

अब कौड़ियों के भाव नहीं बिकेगी जड़ी-बूटियां, खरीद के लिए प्रदेश में नौ केंद्रों का चयन  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   29-06-2020

प्रदेश के लोगों के लिए एक राहत की बात है। हिमाचल में पाए जाने वाले कशमल, हरड़, बेड़ा, अांवला, गुच्छी, तिंगली-मिंगली समेत 12 विभिन्न जड़ी-बूटियां बेचने वालाें काे अब लाेकल मार्केट में कम रेट का माेहताज नहीं रहना पड़ेगा। 

सरकार इन सभी जड़ी-बूटियाें काे खरीदने जा रही हैं। इनकी खरीद के लिए हिमाचल में नाै क्लस्टर (केंद्र) का चयन कर लिया गया है।

इसमें पहले चरण में कुमारसैन और  शमशी में ये क्लस्टर खाेले जा रहे हैं। लाेगाें से उनके उत्पाद खरीद कर उनका वैल्यू एडिशन किया जाएगा और उन उत्पादाें की ब्रांडिंग करके उसे मार्केट में उतारा जाएगा। 

जड़ी-बूटियाें के रेगुलेशन और कंट्राेल के लिए जल्द एक सैल का भी गठन किया जा रहा है। अधिकारी इस सैल के गठन की प्रक्रिया में लगे हुए हैं। एक सप्ताह के भीतर ये सैल काम करना शुरू कर देगा। इस सेल में विषय विशेषज्ञाें काे शामिल किया जा रहा है।

वन विभाग में इनके चयन की प्रक्रिया जारी है। जड़ी-बूटियाें से जुड़े काम में कम से कम 25 साल के अनुभवी लाेगाें काे इस सैल से जाेड़ने का काम किया जा रहा है।

रेगुलेशन और कंट्राेल के लिए बनने वाला सैल लाेगाें की आय काे बढ़ाने के लिए उनकी निजी जमीन पर जड़ी बूटियाें काे उगाने में लाेगाें की मदद करेगा।

नई तकनीक सेे जड़ी बूटियों काे कैसे ग्रीन हाऊस में तैयार किया जा सकता है, लाेगाें काे ये जानकारी दी जाएगी। याेजना काे सरकार वन समृद्धि-जन समृद्धि याेजना से भी जाेड़ेगी ताकि लाेग स्वरोजगार के लिए तैयार किया जा सकें।

प्रदेश से हर साल करीब 100 कराेड़ से अधिक की जड़ी-बूटियां बाहर जाती है। लेकिन इसका फायदा जड़ी-बूटियां ढूंढने वालाें काे कम मिलता है। अाढ़ती इसका लाभ ले जाते है, इसे राेकने के लिए सरकार ने काम शुरू कर दिया है।

हिमाचल सरकार ऐसा करके न केवल उन लाेगाें काे  मेहनत का सही दाम दिलाएगी जाे कड़ी मेहनत करके इन्हें जंगलाें में ढूढंते हैं बल्कि ऐसा करके सरकार प्रदेश में नई अर्थव्यवस्था काे खड़ी करेगी।

वन विभाग जायका प्रोजेक्ट के तहत इस याेजना पर काम कर रहा है। जड़ी-बूटियाें काे उगा कर उसकी ब्रांडिंग करके दूसरे राज्याें में बेचने के लिए विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिए ड्रायर, ग्राइंडर, पैकेजिंग के लिए यूनिट खाेला जाएगा। 

सरकार अपना उत्पाद खुद तैयार करके उसे बेच सके। जड़ी बूटियों की वैल्यू एडिशन बढ़ा कर प्रदेश में नई अर्थव्यवस्था काे खड़ा किया जाएगा।

इसके लिए सैल गठित किया जा रहा है। जड़ी-बुटियाें की ब्रांडिंग करके सरकार इसे बाजार में बेचेगी। गाेविंद सिंह ठाकुर, वन मंत्री

विशेषज्ञाें की मदद से प्राइवेट लैंड में जड़ी-बूटियाें काे तैयार करवाया जाएगा। इसके लिए प्रदेश में 9 क्लस्टर बनाए जा रहे है। जगह का चयन कर लिया गया है।-नागेश गुलेरिया, चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर, जायका