उत्तराखंड की बेटी डा. गायत्री ने अमेरिका में मनवाया काबिलियत का लोहा , 22 यूनिवर्सिटीस से मिला एमडी का ऑफर
यंगवार्ता न्यूज़ - विकासनगर 20-03-2021
देव भूमि उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र बाबर जौनसार के चकराता की एक बेटी ने सात समुंदर पर अमेरिका में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। या यूँ कहे की उत्तराखंड की बेटी गायत्री ने बेटी है अनमोल के मायने सार्थक किये है।
चौहान अस्पताल विकासनगर के डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान और डा. साधना सिंह ने बताया कि डा. गायत्री को अमेरिका के 22 मेडिकल यूनिवर्सिटीस से एमडी ( इंटरनल मेडिसिन ) में डाक्टरेट / रेजीडेंसी की उच्च शिक्षा के लिये आमंत्रित किया है। अमेरिका में मेडिकल रेजीडेंसी के लिये तीन चरणों में परीक्षा होती है।
तीनो चरणो में डा. गायत्री को 99 पर्सेंटाइल अंक प्राप्त हुए। उसके बाद 22 अमेरिकी यूनिवर्सिटीस ने उसे आमंत्रित किया। डा० गायत्री ने हैकनसैक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर, न्यू जर्सी को चुना। वर्तमान में वह जॉन हाफकिन यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट के पद पर कार्यरत है।
डॉ. गायत्री ने प्रारम्भिक शिक्षा आरएन एकेडमी तथा सेंट मेरी स्कूल विकास नगर से हुई है। हाई स्कूल वेलहम गर्ल्स देहरादून तथा इंटर डीपीएस आरकेपुरम नई दिल्ली से किया। एमबीबीएस की पढ़ाई एम्स ( नई दिल्ली ) से की। इसके बाद अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्टेट यूनिवर्सिटी, बोस्टन से एमबीए ( मेडिकल प्रबंधन ) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
गायत्री ने एमबीबीएस के तृतीय वर्ष में ही स्वाइन फ्लू पर रिसर्च पेपर तैयार कर टोरंटो , कनाडा में अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया जो अमेरिका में जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित हुआ। वर्ष 2010 में सबसे कम उम्र में रिसर्च प्रकाशित होने पर इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज हुआ।
बताते है कि गायत्री चौहान उत्तराखंड से पहली लड़की है जिसने अमेरिका में मेडिकल क्षेत्र में इस प्रकार की बड़ी कामयाबी हासिल की है। डा. गायत्री अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता डा. साधना चौहान जो एक जनि मणि स्त्री रोग विशेषज्ञ है तथा पिता डा. वीरेंद्र सिंह चौहान ( सर्जन ) जिनका विकासनगर, उत्तराखंड में डा. चौहान अस्पताल के नाम से अपना संस्थान है तथा गुरुजनों को श्रेय देती है। डा. गायत्री के दादा स्व. नेता वतन सिंह इस क्षेत्र के जाने माने राष्ट्रीय स्तर के समाजसेवी रहे। डा० गायत्री का कहना है कि लक्ष्य निर्धारित कर लो तो लग्न और कठोर परिश्रम से सफलता हासिल की जा सकती है।