उरनी में भरभरा कर टूटने लगे पहाड़, लगातार भूस्खलन से नेशनल हाईवे पांच पर यातायात बाधित
जनजातीय जिला किन्नौर स्थित जेएसडब्ल्यू परियोजना की फ्लशिंग टनल के समीप पहाड़ी से भूस्खलन का सिलसिला शुरू हो गया है। सोमवार सुबह से पहाड़ी से चट्टानें और मिट्टी दरकने का क्रम शुरू
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 19-12-2022
जनजातीय जिला किन्नौर स्थित जेएसडब्ल्यू परियोजना की फ्लशिंग टनल के समीप पहाड़ी से भूस्खलन का सिलसिला शुरू हो गया है। सोमवार सुबह से पहाड़ी से चट्टानें और मिट्टी दरकने का क्रम शुरू हो गया है। इससे नेशनल हाईवे पांच पर यातायात बंद हो गया है। उरनी वाया चोलिंग वैकल्पिक मार्ग से आवाजाही हो रही है। यात्रियों को 20 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है।
वैकल्पिक मार्ग पर जाम लगने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। निचार खंड के लोगों का आरोप है कि परियोजना की फ्लशिंग टनल में हो रही वाइब्रेशन ( कंपन ) के कारण भूस्खलन हो रहा है। उरनी ढांक में सोमवार सुबह करीब 10:00 बजे भूस्खलन शुरू हुआ। इसके बाद दिन भर पहाड़ी से चट्टानें और मिट्टी दरकती रही। दोपहर करीब 1:00 बजे एनएच पर वाहनों की आवाजाही शुरू हुई, लेकिन पहाड़ी से भूस्खलन फिर शुरू हो गया।
इसके बाद वाहनों के गुजरने पर रोक लगा दी गई। नेशनल हाईवे प्राधिकरण भूस्खलन पर नजर रखे हुए है। जिला प्रशासन भी लोगों से एहतियात के तौर पर वैकल्पिक मार्ग से सफर करने की अपील कर रहा है। पंचायत प्रधान उरनी अनिल नेगी, उपप्रधान सुरेश नेगी, प्रधान मीरू नरेंद्र नेगी, कमल नेगी , विमल नेगी, सनम ज्ञाछो नेगी सहित अन्य ग्रामीणों ने सरकार और जिला प्रशासन से जल्द भू वैज्ञानिकों की टीम बुलाकर स्थिति का जायजा लेने और उचित कदम उठाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि यदि समय रहते भूस्खलन पर रोक नहीं लगती तो आईटीआई उरनी, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पटवार सर्किल, वन विभाग का कार्यालय और आवासीय परिसर इसकी चपेट में आ सकता है। उधर, जेएसडब्ल्यू परियोजना के परियोजना प्रमुख कौशिक मौलिक ने बताया कि फ्लशिंग टनल अभी पानी के बिना सूखी पड़ी है।
गर्मियों और बरसात का मौसम होता तो पानी की फ्लशिंग से वाइब्रेशन हो सकती थी, लेकिन अभी ऐसा कोई कारण प्रतीत नहीं हो रहा। उधर, कार्यवाहक उपायुक्त किन्नौर एवं एडीएम पूह एसएस राठौर ने बताया कि लोगों की सुरक्षा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वाहनों को वाया उरनी चोलिंग भेजा जा रहा है। प्रारंभिक तौर पर आपदा से निपटने का प्रयास किया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो भू वैज्ञानिकों की टीम बुलाई जाएगी।