ऐतिहासिक गुरुद्वारा लोहगढ़ साहिब में बाबा बंदा सिंह बहादुर के किले की कार सेवा शुरू

विधानसभा क्षेत्र नाहन के लोहागढ़ में बाबा बंदा सिंह बहादुर के ऐतिहासिक किले की सेवा आज से शुरू हो गई । वर्ष 2007 में प्रदेश सरकार ने यहां  बाबा बंदा सिंह बहादुर के हेरिटेज किले को स्थापित करने के लिए भूमि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पांवटा साहिब को दी थी

ऐतिहासिक गुरुद्वारा लोहगढ़ साहिब में बाबा बंदा सिंह बहादुर के किले की कार सेवा शुरू

यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  19-06-2022
 
विधानसभा क्षेत्र नाहन के लोहागढ़ में बाबा बंदा सिंह बहादुर के ऐतिहासिक किले की सेवा आज से शुरू हो गई। वर्ष 2007 में प्रदेश सरकार ने यहां  बाबा बंदा सिंह बहादुर के हेरिटेज किले को स्थापित करने के लिए भूमि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पांवटा साहिब को दी थी। जिसकी आज विधिवत निशान साहिब चढ़ाकर यहां कार सेवा शुरू हो गई है। 
 
 
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पांवटा साहिब के प्रधान हरभजन सिंह , मैनेजर जागीर सिंह , गुरमीत सिंह आदि  ने  बताया कि बाबा बंदा सिंह बहादुर के ऐतिहासिक लोहगढ़ किले को स्थापित करने के लिए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पांवटा साहिब ने आज यहां निशान साहिब चढ़ाकर विधिवत कार सेवा का शुभारंभ कर दिया हैं। उन्होंने बताया कि 2007 में  प्रदेश सरकार द्वारा यहां ऐतिहासिक धरोहर को संजोने के लिए भूमि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पांवटा साहिब को दी गई थी जिसकी आज कार सेवा यहां शुरू की गई। 
 
 
उन्होंने बताया कि यहां बाबा बंदा सिंह बहादुर की याद में यहां किले को स्थापित करने समेत उनके द्वारा यहां किए गए कार्यों को प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 1709 में यहां बाबा बंदा सिंह बहादुर ने लोहगढ़ में रहना शुरू किया था और यहां लोहगढ़ किले को सिखों की राजधानी स्थापित किया था। उन्होंने बताया कि यहां पर बाबा बंदा सिंह बहादुर द्वारा सिक्के व मोहरें भी जारी की थी। उन्होंने बताया कि यहां पर बहादुर शाह के साथ बाबा बंदा सिंह बहादुर की डेढ़ महीने जंग होती रही। जिसमें करीब 1600 सिख सैनिक शहीद भी हुए थे।
 
 
उन्होंने बताया कि बाबा बंदा सिंह बहादुर लोहगढ़ किले में करीब साढ़े 5 साल रहे। जिसे बाद में मसारंगढ़ द्वारा इस किले को तहस नहस कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि अब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पांवटा साहिब यहां ऐतिहासिक किले का एक बार फिर निर्माण करने जा रही हैं। जिसका आज निशान साहिब चढ़ाकर शुभारंभ किया गया है। उन्होंने बताया कि बाबा बांदा सिंह के साथ रहे शहीद हुए सिंघों के नाम समेत बाबा बन्दा सिंह बहादुर एवं युद्ध में बरते गए शस्त्रों की यहां प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी। 
 
 
जबकि इसके अलावा यहां उस समय बनाए गए किले का स्वरूप भी एक बार फिर तैयार किया जाएगा। ताकि उस समय बाबा बंदा सिंह बहादुर की सभी यादें संजोई जा सकें। इस मौके पर आज यहां आयोजित कार्यक्रम के समापन पर जहां गुरु का लंगर अटूट बरताया गया। तो वहीं यहां ठंडे पानी की छबील भी लगाई गई। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के गुरमीत सिंह, राजन सिंह, हरप्रीत सिंह, अमनदीप सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
,