कोरोना के लिए घातक है जनसंख्या विस्फोट पूर्व सीएम शांता कुमार ने पीएम मोदी को लिखा
यंगवार्ता न्यूज़ - काँगड़ा 03-12-2020
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बढ़ते प्रदूषण और कोरोना को लेकर चिंता प्रकट की है। उन्होंने कहा देश की राजधानी गैस का चैंबर बन गई है। विश्व के 190 देशों की राजधानियों में सबसे अधिक प्रदूषित हो गई है। अब तो राजधानी दिल्ली कोराेना कैपिटल भी बन गई है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि उत्तर में हिमालय और दक्षिण में समुद्र से सजा हुआ भारत एकदम प्रदूषण से क्यों कराहने लग पड़ा है। उन्होंने इस बात पर हैरानी प्रकट की कि इस समस्या पर केवल हवा में ही लाठियां घुमाई जा रहीं है, असली कारण को नहीं देखा जा रहा है।उन्होंने लिखा कि सबसे बड़ा कारण जनसंख्या विस्फोट है।
भारत स्वतंत्रता के बाद 35 करोड़ से बढ़ते बढ़ते आज 141 करोड़ आबादी वाला दुनिया को दूसरा सबसे बड़ा देश बना गया है। आबादी के साथ-साथ सब कुछ बढ़ता है। यही प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। प्रदूषण ही नहीं देश में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी का कारण भी जनसंख्या विस्फोट है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले छह सालों में गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयत्न हुए हैं। उसके बाद भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। बेरोजगारी के कारण युवा पीढ़ी हताश और निराश है और आत्म हत्याएं बढ़ रहीं हैं।
शांता कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी से इस बात को लेकर गिला किया है कि वर्ष 2019 के 15 अगस्त में लाल किले के भाषण में उन्होंने पहली बार इस समस्या का जिक्र किया था और कहा था कि जनसंख्या विस्फोट चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा यदि यह विस्फोट है तो आज तक के लगभग 500 दिनों में सरकार ने उसको रोकने के लिए काम क्यों नहीं किया।शांता लिखते हैं कि कोरोना की वैक्सीन तो आ जाएगी, लेकिन जनसंख्या विस्फोट के कारण बढ़ती गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी देश के लिए बहुत बड़ा संकट बनाता जा रहा है। उन्होंने पीएम को सुझाव दिया है कि अतिशीघ्र पहल करें।
कश्मीर की धारा 370 को समाप्त करने से भी अधिक जनसंख्या विस्फोट की समस्या है। इसके लिए अतिशीध्र एक कानून बने और एक ही नारा हो। हम दो हमारे दो, अब सब के भी दो....। इतना ही नहीं, एक बच्चे के परिवार को इतनी अधिक सुविधाएं दी जाएं, ताकि आबादी कम भी होती जाए।