सरकार की और से नेरचौक मेडिकल कालेज को कोविड अस्पताल बनाया गया है, लेकिन यहां पर स्टाफ की भारी कमी के कारण यहां पर कार्यरत डाक्टरों समेत पैरामेडिकल स्टॉफ को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 120 के करीब अस्पताल स्टाफ के सदस्य और डाक्टर यहां पर कोविड से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि स्टाफ की कमी के चलते परेशानियां और बढ़ रही है।
नेरचौक मेडिकल कालेज में रोजाना कोविड मरीजों को उपचार के लिए रैफर किया जाता है। यहां पर मंडी, कुल्लू, बिलासपुर, लाहुल-स्पीति, हमीरपुर से कोविड मरीजों को उपचार के लिए रैफर किया जाता है। 1000 से ज्यादा कोविड के मरीजों को यहां पर उपचार के लिए भर्ती करवाया गया है। ऐसे में यहां पर रोजाना डाक्टरों समेत अन्य स्टाफ पर काफी प्रेशर बना रहता है, लेकिन स्टाफ पूरा न होने से सभी पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
वर्तमान में नेरचौक मेडिकल कालेज में 48 सीनियर डाक्टरों के पद है, इसमें 12 खाली चल रहे हैं। एसोसिएट प्रोफेसर के भी 20 पद खाली चले हुए हैं, जबकि अन्य स्टाफ के भी काफी पद नेरचौक मेडिकल कालेज में खाली चल रहे हैं। ऐसे में जब स्टाफ के सदस्य कोरोना संक्रमित हो रहे हैं तो बाकियों पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। नेरचौक में मार्च से लेकर अभी तक 50 डाक्टर कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 70 पैरामेडिकल स्टाफ, जिसमें नर्स, लैब टेक्नीशियन, वार्ड वॉय, चालक, स्वीपर शामिल है। वे भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं।
नेरचौक मेडिकल कालेज में इस समय मंडी जिला के लोगों की सबसे ज्यादा मौतें हुइ है। मंडी जिला के 92 मरीजों की मौत इस अस्पताल में उपचार के दौरान हुई है, जबकि सबसे ज्यादा ठीक होने वाले भी मंडी जिला के ही मरीज है। यहां पर उपचार के लिए भर्ती हुए 1046 में से मंडी जिला के 598 लोगों को भर्ती करवाया गया है। कई लोग इनमें से ठीक होकर घर चले गए हैं। सात जिलों के मरीजों के लिए ये अस्पताल जीवनदायक बना हुआ है।