यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 25-10-2020
जून महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया पर, किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। व्यापारी प्रदेश के किसानों से मक्की की खरीद 700 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कर रहे हैं।
कृषि विभाग के अधिकारियों को फोन करने पर भी उन्हें सही जानकारी नहीं मिल रही है कि वे अपनी फसल लेकर कहां जाएं। कई बार तो अधिकारी फोन तक नहीं उठाते। ये हालात लगभग पूरे प्रदेश में बने हुए हैं। मक्की हिमाचल की प्रमुख खरीफ फसल है।
इस साल बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना आदि जिलों में मक्की की बंपर फसल है। प्रधानमंत्री की ओर से की गई न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा से किसान उत्साहित थे लेकिन, हिमाचल सरकार का कृषि महकमा प्रधानमंत्री की इस घोषणा को लागू करने में बेपरवाह है। केवल कागजों में ही यह न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है।
बिलासपुर जिले की झंडूता तहसील के निहान गांव के किसान और स्वयंसेवी संस्था आशीर्वाद के अध्यक्ष राजपाल खजूरिया का कहना है कि उन्होंने कृषि निदेशक के ध्यान में भी मामला लाना चाहा, मगर वेबसाइट पर जारी फोन नंबर को सुना ही नहीं गया।
मक्की का समर्थन मूल्य भारत सरकार ने 1850 रुपये तय किया है, मगर पुरानी मक्की 700 से 800 रुपये खरीदी जा रही है। नई एक हजार रुपये से 1100 रुपये प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है। इसी क्षेत्र के किसान सतपाल, करण चंदेल आदि का कहना है कि इस बार मक्की की बंपर फसल है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे कोई जानकारी नहीं है कि कहां मक्की की यह खरीद हो रही है।
हिमाचल सरकार के कृषि विभाग की वेबसाइट http://hpagrisnet.gov.in को अपडेट तक नहीं किया गया है। अभी तक कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ही बताए जा रहे हैं, जबकि निदेशक देसराज हैं। मारकंडा को हटे कई महीने होने लगे हैं। देसराज को रिटायर हुए भी साल हो गया है। कृषि विभाग अपने काम के बारे में कितना गंभीर है, इसी से सब मालूम हो रहा है। इससे सरकार की डिजिटाइजेशन नीति की भी पोल खुलती है।