कृषि विश्वविद्यालय के तहत एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्र होगा स्थापित
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 21-05-2021
प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय के तहत एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्र के साथ शहद परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना की संभावना बन रही है। इस बात के संकेत कृषि उत्पादन भारत सरकार के राष्ट्रीय आयुक्त ने दिए हैं।
जानकारी के अनुसार इसको लेकर प्रदेश कृषि विवि से योजना का प्रस्ताव भेजने को भी कहा गया है। गौर रहे कि मौन अनुसंधान केंद्र नगरोटा बगवां की स्थापना करीब साढे़ आठ दशक पूर्व की गई थी।
1936 में स्थापित इस केेंद्र का देश के मौनपालन क्षेत्र में बड़ा अहम योगदान रहा है। जानकारी के अनुसार इसी केंद्र से मौनपालन के लिए इटालियन मधुमक्खी एपिस मैलिफेरा को देश में पहली बार प्रचलन में लाया गया था।
साथ ही मौनपालकों को प्रशिक्षण देने और भारतीय महाद्वीप में भारी मात्रा में शहद उत्पादन में इस केंद्र का विशेष योगदान रहा है।
1986 से विवि में कृषि मंत्रालय द्वारा प्रायोजित विभिन्न राज्यों के स्रोत कर्मियों को मौन अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की मदद से राष्ट्रीय स्तर का मौन पालन प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रदेश कृषि विवि के कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी के अनुसार प्रदेश में तैयार किया जा रहा प्राकृतिक शहद जैविक और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
शहद प्रसंस्करण और विपणन से पहले प्रमाणीकरण किसानों को अपने जैविक शहद को उच्च मूल्य पर बेचने में मदद कर सकता है।
उच्च औषधीय गुणों वाले ‘सफेद शहद’, ‘कत्था शहद’ ‘जंगली थाइम शहद’ और ‘लीची शहद’ को जीआई सांकेतक लेबल के साथ उत्पादन को बढ़ाकर बेहतरीन परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
नगरोटा बगवां स्थित कृषि विवि के मौन अनुसंधान केंद्र को बी हेरीटेज फार्म में स्तरोन्नत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।