खुलासा : कैसे मिलेगी क्वालिटी एजुकेशन जब एक-एक कमरे में चल रहे 661 स्कूल
यू-डायस की रिपोर्ट में हुआ खुलासा , राज्य में 410 प्राइमरी स्कूल और 251 मिडिल स्कूलों के पास नहीं है प्रयुक्त कमरें
यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना 29-09-2021
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सूबे में बेहतर शिक्षा के दावे किये जा रहे है लेकिन हकीकत इसके एकदम विपरीत है। हिमाचल में आज भी सैंकड़ों स्कूल एक एक कमरे में चल रहे है , ऐसे के क्वालिटी एजुकेशन के दावे खोखले साबित हो रहे है।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश भर में 410 प्राइमरी स्कूल और 251 मिडिल स्कूल एक कमरे में ही चल रहे हैं। वहीं 249 मिडल स्कूल तथा 2867 प्राथमिक स्कूल केवल 2 कमरों वाले भवन में चल रहे हैं।
ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिल पाएंगी। सरकार स्टार्स प्रोजेक्ट के तहत इन स्कूलों में मौलिक सुविधाएं प्रदान करें। यह मांग राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक संघ संघ ने प्रदेश सरकार के समक्ष उठाई है।
राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक संघ संघ प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल और प्रदेश महासचिव विजय हीर ने यंगवार्ता से बातचीत में कहा कि प्रदेश में स्टार्स प्रोजेक्ट के तहत उक्त स्कूलों में सुविधाएं मुहैया करवाई जाए। इन स्कूलों की दशा में सुधार करना अति आवश्यक है।
मूल सुविधाओं से वंचित स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा हेतु मौलिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 की यू-डायस रिपोर्ट अनुसार प्रदेश के प्रदेश भर में 410 प्राइमरी स्कूल और 251 मिडिल स्कूलों के पास प्रयुक्त कमरें नहीं है और उक्त स्कूल एक ही कमरें में चल रहे है।
जहां सभी कक्षाओं के बच्चे बैठकर शिक्षा ग्रहण करते है। इसके अलावा 249 मिडिल स्कूल तथा 2867 प्राथमिक स्कूल केवल दो कमरों वाले भवन में चल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि यू-डाइस 2019-20 के अनुसार प्रदेश के 15398 सरकारी स्कूलों में से 11656 स्कूलों को कम्प्यूटर्स , 13245 स्कूलों को स्थायी इंटरनेट ,449 स्कूलों को बिजली कनेक्शन, 3069 स्कूलों को रैम्प, 15 स्कूलों को पेयजल सुविधा और 325 स्कूलों को बालक शौचालय और 203 स्कूलों को बालिका शौचालय , 12106 स्कूलों को दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शौचालय, 171 स्कूलों को हाथ धोने के स्थल, 609 स्कूलों को पुस्तकालय चाहिए।
गुणात्मक शिक्षा हेतु नवाचार प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इन स्कूलों में जल्द उक्त सुविधाएं मुहैया करवाएं। विजय हीर ने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत हर वर्ष एमआईएस यू -डाइस डाटा एकत्रित किया जाता है।
इसके प्रक्रिया को अक्टूबर माह से शुरू करने की आवश्यकता है क्योंकि 30 सितंबर का डाटा ही बेसलाईन होता है जिसके आधार पर शिक्षा विभाग के द्वारा समस्त वार्षिक योजनाओं का निर्माण किया जाता है।
प्रदेश में एमआईएस डाटा एकत्रित करने का काम अगर अक्टूबर माह में शुरू कर दिया जाए तो शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों में बर्फबारी और अवकाश के चलते डाटा एकत्रित में होने वाले से विलंब को रोका जा सकता है।
इसके अलावा यू-डाइस डाटा का एडवांस डाटा भी मिल जाएगा। जबकि वर्तमान में गत वर्ष का 30 सितंबर का डाटा होने के कारण मौजूदा स्थिति बदल चुकी होती है। एक साल पुराना डाटा प्रयोग करने की अपेक्षा वर्तमान डाटा इस्तेमाल करना बेहतर कदम होगा।