खुशखबरी : होटल मालिकों को राज्य सहकारी बैंक देगा सस्ता ऋण

खुशखबरी : होटल मालिकों को राज्य सहकारी बैंक देगा सस्ता ऋण

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   05-05-2020

कोरोना के चलते वित्तीय संकट से जूझ रही टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए जयराम सरकार बड़े फैसले ले सकती है। छह महीने तक संकट में रहने के अनुमान के बीच सरकार वित्तीय सहायता देने पर विचार कर रही है।

सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी में इसके खाके पर निर्णय हो सकता है।

इसका असर करीब तीन हजार से ज्यादा होटलों और इतने ही होम स्टे व गेस्ट हाउसों के कर्मचारियों और प्रबंधन पर पड़ेगा। 

वित्तीय सुधार को अतिरिक्त मुख्य सचिव राम सुभगत सिंह की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स ने शनिवार को मंत्रिमंडल को दी प्रस्तुति में होटल संचालकों को राहत देने का प्लान बनाया है। 

प्रस्ताव है कि होटलों को राज्य के सहकारी बैंकों से सस्ती दरों पर विशेष लोन दिलाया जाएगा। लोन की किस्तों को एक साल तक नहीं लिया जाएगा, लेकिन तीन साल में होटलों को पूरा लोन चुकाना होगा। लोन की राशि चुकाने को सरकार सहयोग करेगी।

ब्याज में आधी राशि सरकार वहन कर सकती है। आधा ब्याज होटल खुद चुकाएंगे। सरकार पहले ही होटलों का छह महीने का डिमांड चार्ज माफ कर चुकी है। दूसरा प्लान यह है कि इस क्षेत्र के सभी कर्मचारियों को निर्धारित आर्थिक वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाए। 

हालांकि, इसमें पेच है कि हिमाचल में ऑफ सीजन और ऑन सीजन कर्मचारियों की संख्या का सही आकलन नहीं है। सरकार के पास भी उतने कर्मचारी पंजीकृत नहीं हैं, जितने इस क्षेत्र से जुड़े हैं।

मंगलवार को होने वाली बैठक में मेकेनिक, ब्यूटी पार्लर, व हेयर सैलून जैसे व्यवसाय से जुड़े लोगों को लेकर भी राहत का फैसला हो सकता है। सरकार पहले ही कामगार बोर्ड में पंजीकृत कामगारों को दो-दो हजार रुपये आर्थिक सहायता दे चुकी है। 

अब अन्य क्षेत्र के लोगों के लिए भी विचार चल रहा है। टैक्सी ऑपरेटरों, गाइडों, चालकों-परिचालकों के लिए भी सरकार आर्थिक मदद देने पर विचार कर रही है। 

लॉकडाउन से असहाय हुए क्षेत्राें को सरकार सहारा पहुंचाने की कोशिश में है। सरकारी और अर्ध सरकारी क्षेत्र में होने वाले दैनिक खर्चों को कम करने के लिए भी उप समिति बड़े और कड़े फैसले ले सकती है। 

इसमें वाहनों की खरीद, मेंटेनेंस के नाम पर होने वाले खर्च के अलावा कई तरह के खर्च में कटौती के फैसले शामिल हैं।