गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब शहीदों की याद में गुरमत समागम और अखंठ पाठ 

एसजीपीसी ने गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हॉल में गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब के शहीदी साका (नरसंहार) के शहीदों की याद में गुरमत समागम (धार्मिक मण्डली) का आयोजन किया गया। जो की 22 मई, 1964 को इस तीर्थस्थल को कब्जे से मुक्त करने के संघर्ष के दौरान हुआ था, महंतो के कब्जे से गुरुद्वारा साहिब

गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब शहीदों की याद में गुरमत समागम और अखंठ पाठ 
 
यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब  23-02023
 
 
एसजीपीसी ने गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हॉल में गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब के शहीदी साका (नरसंहार) के शहीदों की याद में गुरमत समागम (धार्मिक मण्डली) का आयोजन किया गया। जो की 22 मई, 1964 को इस तीर्थस्थल को कब्जे से मुक्त करने के संघर्ष के दौरान हुआ था, महंतो के कब्जे से गुरुद्वारा साहिब को मुक्त करवाया था। 
 
 
जानकारी देते हुए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मैनेजर जागीर सिंह , हरभजन सिंह व केशीयर राजन सिंह ने बताया की श्री अखंड पाठ के भोग ( समापन समारोह ) के बाद भाई सतनाम सिंह कुहरका के हजूरी रागी जत्थे ने संगत को गुरबाणी कीर्तन से जोड़ा और पवित्र हुक्मनामा का पाठ स्वर्ण मंदिर ज्ञानी गुरविंदर सिंह के ग्रंथि द्वारा किया गया।एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि देश की आजादी से पहले कई संघर्ष हुए , जिनमें अनगिनत सिखों की शहादतें हुईं।
 
 
सिखों ने ब्रिटिश शासन के दौरान अत्याचार को खुशी-खुशी सहन किया, लेकिन स्वतंत्र भारत में हुए शहादतो के दर्द को सिख कभी नहीं भूल सकते। गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब में मिसल शहीदा तरना दल के 11 सिंह शहीद हो गए। गुरु के पवित्र मंदिर को मुक्त करने के लिए तरना दल हरिया बेला के सिंहों द्वारा किए गए बलिदान को सिख समुदाय हमेशा याद रखेगा। इस अवसर पर तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने मिसल शहीदा तरना दल हरियाबेला के प्रधान बाबा निहाल सिंह द्वारा की गई पंथक सेवाओं की सराहना की। 
 
 
उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब को महंतों के कब्जे से मुक्त करने के संघर्ष में, बाबा निहाल सिंह भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे और पंथ ने उन्हें “जिंदा शहीद” (जीवित शहीद) की उपाधि दी थी। बाबा निहाल सिंह ने शक के दौरान हुई घटनाओं को साझा किया। उन्होंने शहीदों की याद में हर साल गुरमत समागम के आयोजन के लिए एसजीपीसी का धन्यवाद किया और सभी संस्थाओं को एकता के साथ पंथक हितों के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। एसजीपीसी ने बाबा निहाल सिंह हरिया बेला वाले को सिरोपा देकर सम्मानित किया। 
 
 
इस अवसर पर उपस्थित लोगों में एसजीपीसी की कार्यकारी समिति के सदस्य हरजाप सिंह, भाई राजिंदर सिंह, भाई मनजीत सिंह, अतिरिक्त सचिव परमजीत सिंह, स्वर्ण मंदिर के प्रबंधक सुलखन सिंह, पूर्व सचिव सुखदेव सिंह और अन्य शामिल थे।