चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट ने पहली बार चैत्र नवरात्रों पर नहीं खोले दानपात्र
यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना 05 April 2020
कोरोना वायरस को लेकर 14 अप्रैल तक लॉकडाउन से मंदिर भी अछूते नहीं रहे हैं। हिमाचल के विश्वविख्यात चिंतपूर्णी मंदिर में करोड़ों का नकद चढ़ावा मंदिर न्यास को मिलता था, उसमें इस बार बेहद कमी दर्ज की गई है।
इसकी पुष्टि मंदिर कार्यालय के सुपरिंटेंडेंट जीवन कुमार ने की है। इतिहास में पहली बार सरकार के आदेशों के बाद चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट 17 मार्च को श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों के लिए बंद कर दिए गए थे। देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाया गया है।
चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट बंद हुए 19 दिन हो गए हैं। इस कारण चढ़ावे में भारी कमी आई है। 25 मार्च से 3 अप्रैल तक चैत्र नवरात्र बिना श्रद्धालुओं के हुए। नवरात्रों के बाद मंदिर में रखे दानपात्र नहीं खोले गए। इससे पहले दानपात्रों को खोलने की एक नियमित प्रक्रिया अपनाई जाती थी।
मंदिर ट्रस्ट के गणना कक्ष में मंदिर अधिकारी की देखरेख में चढ़ावा नियमित रूप से गिना जाता था, लेकिन इस बार चढ़ावे को नहीं गिना गया। मंदिर में श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी है।
लॉकडाउन के चलते पंजाब के सारे बॉर्डर सील हैं। पिछले साल चैत्र नवरात्रों में मां चिंतपूर्णी के दरबार में श्रद्धालुओं ने 95 लाख 63 हजार 761 रुपये नकद, 101.20 ग्राम सोना, 5.245 किलो चांदी अर्पित की थी। इस बार कोई भी श्रद्धालु मंदिर नहीं आया।
दानपात्र में जो दान डाला, वह पुजारियों ने ही डाला। चैत्र नवरात्रों में न के बराबर ही नकद चढ़ावा चढ़ा। इस कारण मंदिर न्यास ने चढ़ावे की गणना पर रोक लगा दी है।
यंगवार्ता को कार्यकारी मंदिर अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद कुछ दिन तक गणना नियमित रूप से की, पर दान पात्र से अपेक्षित राशि नहीं मिली। अब गिनती करने पर रोक लगा दी है। मंदिर के कपाट खुलने के बाद फिर चढ़ावे की गणना होगी।