यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू 10-02-2022
अत्याधुनिक तकनीक से तैयार भारत की सबसे महत्वपूर्ण सामरिक महत्व की अटल टनल रोहतांग का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से प्रमाणित किया गया है। समुद्र तल से 10044 फीट की ऊंचाई पर गुजरने वाली अटल टनल को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक तौर पर दुनिया की सबसे लंबी यातायात टनल के रूप में प्रमाणित किया है। इस टनल की लंबाई 9.02 किलोमीटर है।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने पुरस्कार प्राप्त किया। इसे हिमालय की पीर पंजाल की चोटियों को भेदकर करीब 10 साल की अवधि में सीमा सड़क संगठन ने बनाया है। भारतीय और ऑस्ट्रेलिया कंपनी स्ट्रॉबेग और एफकॉन ने भी टनल निर्माण में सहयोग किया। टनल निर्माण की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के मुख्यालय केलांग में की थी।
उस दौरान टनल की लागत करीब 1500 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन टनल के निर्माण पर 3600 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अटल टनल बनने के बाद मनाली से चीन सीमा से सटे लेह की दूरी करीब 45 किमी घट गई। वहीं इस रूट का सफर कम से कम पांच घंटे कम हो गया है। इसके साथ सर्दी के मौसम में बर्फबारी से बंद होने वाला जनजातीय क्षेत्र लाहौल 12 महीने देश दुनिया से जुड़ गया है।
तीन अक्टूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टनल रोहतांग का उद्घाटन किया था। इसके बाद से अटल टनल देशभर के पर्यटकों के लिए पहली पसंद बनी है। यह दुनिया की पहली टनल है जिसमें 4जी कनेक्टिविटी मुहैया करवाई गई है। अटल टनल किसी अजूबे से कम नहीं है। यह टनल अपनी विशेषताओं के लिए खास है। टनल में हर 500 मीटर पर आपातकाल सुरंग है, जो टनल के दोनों छोरों पर निकलती है। हर 150 मीटर पर आपातकाल 4जी फोन की सुविधा है। हर 60 मीटर पर सीसीटीवी हैं। अटल टनल रोहतांग के दोनों छोरों पर पूरी टनल का कंट्रोल रूम है। यहां से हर किसी पर पैनी नजर रखी जाती है।
अटल टनल रोहतांग में आपदा की सूरत में एस्केप टनल फंसे हुए लोगों को बाहर निकालेगी। इसे वैकल्पिक तौर पर बनाया गया है। जिसका एक छोर नॉर्थ जबकि दूसरा साउथ पोर्टल में खुलता है। एस्केप टनल में बाकायदा आपात इग्रेस डोर के नीचे दोनों छोरों की दूरी दर्शाने वाले बोर्ड लगाए गए हैं। टनल के ऊपर दो किलोमीटर ऊंचा पहाड़ है। इससे टनल को हैवी सपोर्ट सिस्टम देना पड़ा।