निजी विश्वविद्यालय में हो रहे व्यापारी करण को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रकट किया रोष
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 27-07-2020
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री राहुल राणा ने हिमाचल प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय में हो रहे व्यापारी करण को लेकर कड़ा रोष प्रकट किया है राहुल राणा ने कहा कि जहां फर्जी डिग्री बेचने के आरोप में कुछ निजी विश्वविद्यालय जांच के घेरे में है।
राहुल राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अवैध डिग्रियों का गोरख धंधा चला है ऐसी ही कड़ी में जहां अपने रेगुलर कर्मचारियों को रेगुलर डिग्री प्रदान कर दी गई ऐसा ही कार्य मानव भारती विश्वविद्यालय इंडस यूनिवर्सिटी और एपीजी यूनिवर्सिटी शिमला ने किया।
जिसको लेकर इन विश्वविद्यालय पर एफ आई आर भी दर्ज हुई और बाद में इस प्रकार के बेतुके बयान दिए गए की डिग्रियां कॉरेस्पोंडेंस डिस्टेंस और कर्मचारियों को 2 से 4 घंटे कार्य में छूट देकर उनकी कक्षाएं लगाई गई और उन्हें डिग्री दे दी गई जोकि सरासर गलत है यूजीसी के नियमों के खिलाफ है।
इससे साफ होता है कि निजी विश्वविद्यालय में डिग्रियां बांटने का धंधा किस प्रकार चला हुआ है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि नियामक आयोग जल्दी से जल्दी इस प्रकार गई दी गई डिग्रियों को रद्द करें और निजी विश्वविद्यालय पर कड़ी कार्रवाई करें।
हिमाचल प्रदेश नियामक आयोग तथा माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेशों में साफ किया है कि निजी विश्वविद्यालय केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त फीस ही छात्रों से ले सकते हैं।
मगर विद्यार्थी परिषद ने पाया कि छात्रों से करैक्टर सर्टिफिकेट प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट माइग्रेशन सर्टिफिकेट के नाम पर पैसे एंड जा रहे हैं जो सरासर गलत है।
इंडस यूनिवर्सिटी सरोली ने ट्रैक्टर सर्टिफिकेट के लिए ₹100 माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए ₹300 और प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट के लिए ₹500 तक वसूले जो कि उच्च न्यायालय की अवहेलना है इसलिए परिषद मांग करती है कि ऐसे मिसलेनियस फीस छात्रों को वापिस की जाए और कड़े नियम बनाए जाएं ताकि निजी विश्वविद्यालय अपनी मनमर्जी से ऐसे पैसे ना लुटे।
22 जुलाई को नियामक आयोग ने छात्र के लिए आदेश पारित किए की उसकी सिक्योरिटी के ₹10000 वापस लिए जाएं मगर इंडस विश्वविद्यालय हरोली अपनी मनमर्जी से छात्रों की सिक्योरिटी फीस से 11 सो रुपए काट रही है और बता रही है कि विश्वविद्यालय ने ऐसी पॉलिसी बनाई है जिसके अंतर्गत सिक्योरिटी अमाउंट से 1100 रुपए सभी छात्रों के कटेंगे जो साफ तौर पर गरीब छात्र को लूटने की मंशा है।
विद्यार्थी परिषद ने पाया कि शूलिनी यूनिवर्सिटी ने छात्रों से पूरी फिस भी ले ली है मगर नियामक आयोग के आदेश हैं कि इस कोरोना महामारी के दौरान ट्यूशन फीस को छोड़कर निजी विश्वविद्यालय कोई भी फीस नही वसूलेगा।
विद्यार्थी परिषद ने पाया कि निजी विश्वविद्यालय ने कोरोना महामारी के दौरान हॉस्टल की फीस बढ़ा दी है जो नियमों के विपरीत है यूजीसी कैबिनेट के फैसले में भी यह साफ हुआ है कि इस दौरान कोई भी अपनी फीस में वृद्धि ना दें ।
विद्यार्थी परिषद नियामक आयोग से मांग करती है कि जल्द से जल्द उपरोक्त मांगो पर कदम उठाए अन्यतः विद्यार्थी परिषद आंदोलन करने से गुरेज नही करेगी।