स्कैब की चपेट में आया सेब, बागबानों को मिले मुआवजा 

स्कैब की चपेट में आया सेब, बागबानों को मिले मुआवजा 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   12-08-2020

प्रदेश के 6 जिलाें शिमला, मंडी, चंबा, कुल्लू, सिरमाैर,चंबा और किन्नाैर में स्कैब ने तीन दशक बाद सेब के बगीचाें पर हमला किया है। 80 के दशक में स्कैब ने सबसे पहले बगीचाें पर हमला किया था। 

किन्नाैर जहां का सेब अंतरराष्ट्रीय मार्केट में अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है, इसके कल्पा में सबसे ज्यादा 90% तक सेब के बगीचे स्कैब राेग की चपेट में हैं। किन्नाैर के निचार में 10 से 40 प्रतिशत तक बगीचे इसकी चपेट में है।

कल्पा में 1 से 94 % तक, पूह में 2 से 3 प्रतिशत तक बगीचाें में स्कैब राेग लगा हुआ है। इसका खुलासा विशेषज्ञाें की रिपाेर्ट में हुआ है। शिमला जिले के भी अधिकांश सेब उत्पादित क्षेत्राें में स्कैब राेग ने हमला किया है। 

स्कैब राेग का पता लगाने गई विशेषज्ञाें की टीम ने अपनी रिपाेर्ट विभाग काे साैंप दी है। इसमें पांच जिलाें के अधिकांश क्षेत्राें में स्कैब राेग का हाेना पाया गया है। बता दें कि काेराेना के कारण बाहर से सेब का आयात पूरी तरह राेक दिया गया है। 

बागबानी विभाग के निदेशक करम चंद ने कहा कि प्रदेश के छह जिलाें में सेब के बगीचाें पर स्कैब राेग ने हमला किया है।

शिमला के ननखड़ी में 1 से 7 प्रतिशत तक, राेहडू में 3 से 17, चाैपाल में 2 से 4, चिड़गांव में 2.5 से 5.6, जुब्बल में 1 से 8, काेटखाई में 5 से 7, ठियाेग में 20 और रामपुर में 1 से 2%तक सेब के बगीचे स्कैब की चपेट में है।

कुल्लू में 3 से 15% बगीचाें में ये राेग पाया गया है। नग्गर में 4 से 10, बंजार में 5, आनी में 2 से 4, निरमंड में 4 से 6 प्रतिशत बगीचे स्कैब राेग की चपेट में है।

मंडी के सिराज में भी स्कैब का जबरदस्त हमला हुआ है। यहां पर 25 से 40 प्रतिशत बगीचे इस राेग की चपेट में है। गाेहर में 2 से 40 प्रतिशत तक बगीचाें में स्कैब राेग है।

बागवानी विभाग के पाैध संरक्षण अधिकारी तेज राम बुशहरी बगीचाें में स्कैब राेग के हमले का सबसे बड़ा कारण बारिश का न हाेना मान रहे हैं।

बगीचाें में नमी की मात्रा अधिक हाेने से भी बगीचाें में पतझड़ और सेब दागी हुए हैं। समय पर स्प्रे का छिड़काव नहीं करने पर भी बगीचों में ये राेग लगा है।

जिन क्षेत्राें में अभी सेब का तुड़ान नहीं हुआ है उन क्षेत्राेें में बागाें काे स्कैब से बचाने के लिए नेटीबाे का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

ऊंचाई वाले क्षेत्राें में जहां सेब का तुड़ान नहीं हुआ है वहां पर 15-15 दिनाें बाद दाे बार स्प्रे करने की सलाह दी है। 

इसमें 200 मिलीलीटर पानी में 80 ग्राम नेटीबाे का घाेल तैयार कर उसका छिड़काव करने काे कहा गया है। 15 दिन बाद दूसरी स्प्रे कैब्रीयाे टाॅप का छिड़काव किया जाए। 

जहां सेब का तुड़ान हाे चुका है वहां बागबानाें काे 200 मिली पानी में 600 ग्राम काॅपर-ऑक्सी क्लाेराइड का घाेल तैयार कर उसका छिड़काव करने की सलाह दी गई है।