प्रदेश के कई स्कूलों में बिजली न होने से छात्र अंधेरे के साए में पढ़ने को मजबूर 

प्रदेश के कई स्कूलों में बिजली न होने से छात्र अंधेरे के साए में पढ़ने को मजबूर 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   24-08-2020

हिमाचल प्रदेश के अधिकांश सरकारी स्कूलों में बिजली न होने से छात्र अंधेरे के साए में पढ़ने को मजबूर है। वहीं डिजिटल स्टडी का सपना कैसे पूरा होगा, जब अभी भी राज्य के कई स्कूलों में बिजली ही नहीं है। 

इन स्कूलों में अभी भी छात्र अंधेरे के साए में पढ़ने को मजबूर हैं। भले ही शिक्षा विभाग व सरकार अपनी पीठ थपथपा रहा हो कि केवल नौ प्रतिशत स्कूलों में ही बिजली नहीं है, लेकिन हैरत इस बात की है कि नौ प्रतिशत स्कूलों में बिजली न होने की ये शिकायतें कई सालों से हैं। 

हर बार सरकार व विभाग दावे करते हैं, लेकिन ये दावे जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों में अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। हैरानी इस बात की है कि शिक्षा विभाग ने स्ट्रीट लाइट लगाने का आश्वासन दिया था, वहीं बिजली मुहैया करवाने के लिए संबंधित विभाग को बजट भी जारी कर दिया था।

बावजूद इसके आज के इस डिजिटल दौर में पांगी, किन्नौर, लाहुल व अन्य जिलों के 500 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में शिक्षा की लौ अंधेरे में चल रही है।

इसके अलावा भी अगर बात करें, तो प्रदेश में 10722 प्राथमिक विद्यालय, 2019 माध्यमिक विद्यालय कार्यरत हैं। गौर हो कि राष्ट्रीय शिक्षा स्तर की रिपोर्ट के अनुसार भाषा और अंक गणित में प्रदेश को देश भर में प्रथम आंका गया है। 

शिक्षा विभाग के ये बड़े-बड़े दावे और ऑनलाइन स्टडी की ओर छात्रों की पढ़ाई को ले जाने के दावों की आज सरेआम पोल खुल रही है।

इन स्कूलों में बरसात का मौसम हो, चाहे सर्दियों का, लेकिन बिजली न होने की वजह से छात्रों को ठंड का भी सामना करना पड़ता है।

बता दें कि सरकार ने दावा किया है कि वर्ष 2020-21 के लिए प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र के लिए 4400 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान रखा गया है।

उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्रदेश के विद्यालयों को 40 करोड़ रुपए का वार्षिक अनुदान प्रदान किया गया है। इस बजट से कोरोना काल के इस समय में जहां स्कूलों को सेनेटाइज करने का कार्य किया जाएगा।

सरकार के सर्वे में खुलासा किया गया है कि प्रदेश के 99 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालयों में पीने के पानी की सुविधा है, 96 प्रतिशत विद्यालयों में लड़कियों के शौचालय और 91 प्रतिशत विद्यालयों में बिजली की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। यानी कि चार प्रतिशत स्कूलों में अभी भी छात्राएं खुले में शौच करने के लिए जाते हैं।