उपनिदेशक पशु पालन विभाग ऊना डाॅ जय सिंह सेन ने कहा कि पशु पालकांे को अनुदान राशि पर कृषक बकरी पालन योजना के अन्र्तगत बकरियां वितरित की गई थी।
इस संबंध में भिन्न- भिन्न समाचार पत्रों द्वारा अलग-अलग शीर्षकों के तहत समाचार प्रकाशित किये जा रहे है जोकि पशुपालकों/जनमानस में भिन्न प्रकार की भ्रान्तियां फैला रहे है।
जय सिंह सेन ने बताया कि 24 दिसम्बर को वितरित की गई बकरियों में विभिन्न बिमारियों के बचाव जैसे इंटेरो-टाॅक्सिमियां (फड़किया), गल घोटू पीपीआर (बकरी प्लेग) खुर पक्का- मुहं पक्का, चेचक इत्यादि के टीकाकरण सम्बन्धित आपूर्तिकर्ता द्वारा पूरा किया जाना प्रमाणित है।
उन्होंने कहा कि 24 दिसम्बर 2021 को विभागीय चिकित्सकों की टीम ने स्वास्थ्य जांच की गई थी और सभी बकरियां स्वस्थ थी। उन्होंने कहा कि वितरण के तीन दिन उपरान्त उपरोक्त बकरियों में सर्दी जुखाम के लक्षण पाये गये जिनका विभागीय चिकित्सकों द्वारा ईलाज शुरू किया गया। इनमें से कुछ बकरियांे की मृत्यू होनी शुरू हो गई।
उन्होंने कहा कि 29 दिसम्बर को पशु पालन विभाग के विशेषज्ञों की टीम गठित करके निरीक्षण व खून के नमूने जांच हेतू भेजे गए। उन्होंने कहा कि 30 दिसंबर को विशेषज्ञों की टीम मौके पर जाकर दो बकरियों का शव प्रशिक्षण करवाया व मृत बकरियों के शरीर के नमूने एकत्रित कर जांच हेतू पशु विश्व विद्यालय पालमपुर को भेजे जिसकी रिर्पोट 4 जनवरी को आई। रिपोर्ट में बकरियों में पी.पी.आर (बकरी प्लेग) रोग होने की पुष्टि हुई।
विभाग द्वारा सम्बन्धित रोग की रोकथाम हेतू आवश्यक पग उठाये गये व सम्बन्धित पशु चिकित्सा संस्थानों को केन्द्रीय औषधि भण्डार से दवाइयों का वितरण किया गया व इस बिमारी के बचाव हेतू टीके उपलब्ध करवाये गए तथा सम्बन्धित बकरियों की कीमत के मूल्य की अदायगी को रोक दिया गया है।
इसके साथ-साथ 5 जनवरी को पशु विश्व विद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा भी रोग से ग्रसित बकरियों का निरीक्षण करवाया जा चुका है। पशु पालन विभाग ऊना इस सम्बन्ध में पूरी तरह से सतर्क है, तथा समय-समय पर बकरी पालको को उचित उपचार तथा परामर्श दे रहा है।