डा. राजीव बिंदल को लेकर ऐसा क्या बोल गए स्वास्थ्य मंत्री कि भाजपा में मचा हड़कंप जानिए.....
डा. राजीव सेजल के बयान के बाद बिंदल विरोधी खेमे में मचा हड़कंप
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 11-03-2021
भले ही हिमाचल सरकार ने नाहन के विधायक और पूर्व में भाजपा के अध्यक्ष व विधानसभा के अध्यक्ष रहे डा. राजीव बिंदल को हाशिए पर धकेल रखा है , लेकिन सरकार के एक काबीना मंत्री डा. बिंदल को लेकर बड़ा बयान दिया है। जिससे भाजपा नेताओं खासकर बिंदल विरोधी खेमे में मानो हड़कंप मच गया है।
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डा. राजीव सैजल ने कहा कि नाहन के विधायक डा. राजीव बिंदल हिमाचल के टॉप थ्री नेताओं में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव प्रबंधन की दृष्टि से भी बिंदल कार्य कुशलता न केवल हिमाचल बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सर्व श्रेष्ठ आंकी गई है।
उन्होंने कहा कि सोलन नगर निगम चुनावों में डा. राजीव बिंदल को प्रभारी लगाया गया है और यह सोलन के लिए खुशी की बात है। नगर निगम चुनावों को लेकर सोलन के माल रोड पर भाजपा ने पार्टी कार्यालय खोला है और इसी उद्घाटन के दौरान डा. सहजल ने पत्रकार वार्ता के दौरान यह बात कहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी इन चुनावों को चुनौती मान कर चल रही है और भाजपा नगर निगम का चुनाव जीतेगी। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए भी खुशी की बात है कि वे भी सोलन नगर निगम चुनाव में एक सहयोग के तौर पर डॉ. राजीव बिंदल के साथ है।
सूत्र बताते है कि डा. सजल के बयान के बाद भाजपा में खासकर बिंदल विरोधी खेमे में हलचल तेज हो गई है। आपको बता दें की इन दिनों भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा जिस प्रकार उत्तराखंड में राजनीतिक उथल पुथल हुई है। इसके बाद हिमाचल के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
कल विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने तो सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बाकायदा तंज कसते हुए कहा की भाजपा में मुख्यमंत्रियों को बदलने की कवायद शुरू हो गई है और वह भी अपनी कमर कस ले। अब देखना यह है की स्वास्थ्य मंत्री के बयान को भाजपा कैसे लेती है।
कुछ भाजपा नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डा. सहजल का कथन सौ फीसदी सही है क्योंकि हिमाचल में डॉ. राजीव बिंदल के मुकाबले कोई भी ऐसा कद्दावर नेता नहीं है जो पार्टी और सरकार में तालमेल बिठा सके।
बताते है कि जयराम ठाकुर , अनुराग ठाकुर और जेपी नड्डा की तिगड़ी ने डा. राजीव बिंदल का राजनितिक करियर ख़त्म करने की रणनीति के तहत सुनियोजित तरीके से उन्हें पहले मंत्री नहीं बनने दिया , उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाया और फिर भाजपा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिलवाया गया। बावजूद इसके भी डा. बिंदल की व्यक्तिगत छवि और काम करवाने की इच्छा शक्ति के चलते मतदाताओं में खासी पकड़ है।