मां-बाप ने छोड़ दिए दो मासूम, सूखे टैंक में रहने को थे विवश ,पुलिस ने किया रेस्क्यू
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 08 April 2020
मां और पिता अपने दो मासूम बच्चों को छोड़कर कहीं चले गए हैं। मैले कुचैले कपड़ों में दोनों मासूम एक सूखे पेयजल टैंक में दिन गुजार रहे हैं। लोग तरस खाकर दोनों को रूखी सूखी रोटी देकर उनका पेट भर देते हैं।
इसी तरह दोनों की गुजर बसर हो रही है। यह किसी मार्मिक कहानी की लाइनें नहीं हैं बल्कि हकीकत है शिमला शहर के एक प्रवासी मजदूरों के त्याग दिए दो बच्चों की।
माता-पिता ने इन दोनों बच्चों को छोड़ दिया है। संजौली हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहने वाले एसजेवीएनएल के अधिकारी सनी सराफ ने उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव को मंगलवार को फोन पर बताया कि नेपाली मूल के दो बच्चे बेहद खराब परिस्थितियों में निर्माणाधीन अंडरग्राउंड पानी की टंकी में रह रहे हैं।
उमंग फाउंडेशन ने इसकी जानकारी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष जीके शर्मा को दी। अजय श्रीवास्तव ने शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीर ठाकुर से बच्चों को रेस्क्यू करवाने का अनुरोध किया।
प्रवीर ठाकुर ने ढली के एसएचओ राजकुमार को बच्चों को रेस्क्यू करने के निर्देश दिए। एसएचओ राजकुमार, एएसआई मोहिंद्र सिंह के साथ मौके पर पहुंचे और रात 12 बजे दोनों बच्चों को रेस्क्यू करके रॉकवुड (निकट पोर्टमोर) स्थित बाल आश्रम में पहुंचाया।
श्रीवास्तव के मुताबिक बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता ने कहीं अलग-अलग शादी कर ली है। पानी का सूखा टैंक उनको रहने के लिए सुरक्षित लगा और यहां रहने लगे।
बच्चों की उम्र 10 और 11 वर्ष है। सनी सराफ ने बच्चों को खाना और कपड़े दिए। प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों के माता-पिता को ढूंढने का प्रयास किया जाएगा। अभी तक मां-बाप का कहीं कोई पता नहीं चल रहा है।
यह बच्चे संजौली की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में दस पंद्रह दिन से रोज दिखाई दे रहे हैं। आसपास के लोगों से रोटी मांगकर खा लेते थे लेकिन रात को कहां रहते हैं किसी को पता नहीं था।
मंगलवार को जब इन्हें टैंक में जाते देखा तो इसके बाद बच्चों से बात कर पूरी हकीकत सामने आई। बच्चे अभी यही बोल रहे हैं कि उनके माता-पिता ने अलग-अलग शादी कर ली है।
बच्चे सही बोल रहे हैं या नहीं इसका पता लगाया जा रहा है। थाना प्रभारी राजकुमार ने बताया कि बच्चों के मां-बाप की तलाश की जा रही है।