मंत्री जी पांवटा अस्पताल में  सर्जन और रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती तो करवा दो , जनता हो रही परेशान 

पांवटा सिविल अस्पताल में अभी भी कुल 22 में से चिकित्सकों के छह रिक्त पद है, जिनके पदों को भरने के लिए अक्सर ही ऊर्जा मंत्री मीडिया के सामने वायदे करते हैं,जो किये वायदे आज हवा हवाई हो रहे हैं।

मंत्री जी पांवटा अस्पताल में  सर्जन और रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती तो करवा दो , जनता हो रही परेशान 
अंकिता नेगी - पांवटा साहिब   26-11-2021
 
पांवटा सिविल अस्पताल में अभी भी कुल 22 में से चिकित्सकों के छह रिक्त पद है, जिनके पदों को भरने के लिए अक्सर ही ऊर्जा मंत्री मीडिया के सामने वायदे करते हैं,जो किये वायदे आज हवा हवाई हो रहे हैं।
 
पांवटा सिविल अस्पताल में चार डॉक्टरों में दो सर्जन,रेडियोलॉजिस्ट व एनेस्थीसिया चिकित्सक के एक -एक पद भरने के आदेश हुए थे,हैरानी की बात तो यह है कि आदेश होने के बावजूद भी किसी चिकित्सक ने पदभार तक नहीं संभाला है।
 
पिछले पांच वर्षों से भी अधिक का समय हो गया है, लेकिन न मंत्री साहब कुछ कर रहे हैं, न ही जनता एकजुटता के साथ आवाज उठा रही है, कुछ समय समाजसेवी नाथूराम व बाह्ती विकास युवा मंच ने भी अस्पताल परिसर में प्रदर्शन कर ज्ञापन भी सौंपा,उन्हें भी यह आश्वासन देकर टाला की डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है,लेकिन उसके बाद भी अभी तक किसी डॉक्टर ने पदभार गृहण नही किया है।
 
गर्भवती महिलाओं को परेशानी आड़े आ रही है क्योंकि पांवटा सिविल अस्पताल में दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों सहित,पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के भी लोग आते हैं,जिनकी एक उम्मीद परिसर में आते ही टूट जाती है ।
 
सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताले लटके हुए हैं,करोड़ों की मशीन आज धूल फांक रही है महिलाएं महंगे दामों में निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड महंगे दामों पर करवाने को मजबूर हैं।
 
जबकि ऊर्जा मंत्री ने मीडिया के सामने यह भी कहा था कि जब तक चिकित्सक नही आ जाता तब तक नाहन से सप्ताह में तीन दिन रेडियोलॉजिस्ट सिविल अस्पताल पांवटा में बैठेगा , बोलने के बावजूद भी उन बातों का कोई अर्थ सुखराम चौधरी नहीं निकाल पाए।
 
पहले भी कई दफा समाजिक संस्थाएं बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं,तो वहीं डॉक्टरों की नियुक्ति की अधिसूचना दिखाकर  उस समय भी माहौल को शांत किया गया ,लेकिन अब लगता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में ऊर्जा मंत्री को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
 
अब तो जनता भी असमंजस में है कि आखिर जो बोला जाता है वो होता कयुनि नही है,कहीं न कहीं चुनाव में इसका असर मंत्री पर भारी पड़ सकता है।