मन की बात में बोले पीएम मोदी , कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत पर दुनिया की नजर

मन की बात में बोले पीएम मोदी , कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत पर दुनिया की नजर

न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 31-05-2020

देश में लागू लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए तीसरी बार देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि देश अब खुल रहा है ऐसे में हमें और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने संकट की इस घड़ी के दौरान इनोवेशन को जरूरी बताया। उन्होंने चक्रवाती तूफान अम्फान से लेकर देश में टिड्डी संकट को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे अतंरराष्ट्रीय स्तर पर लोग योग को अपना रहे हैं। नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक मिले, आसमान भी साफ-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं।

कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी लैब्स में जो काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नजर है और हम सबकी आशा भी। किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है।

पहले का अनुभव नहीं है। ऐसे में नई चुनौतियां, परेशानियां हम अनुभव कर रहें हैं। ये दुनिया के हर देश में हो रहा है इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है। हम बार-बार सुनते हैं जल है तो जीवन है - जल है तो कल है’ लेकिन जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है।

मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय हैI इसलिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी। कुछ दिन बाद ही 5 जून को पूरी दुनिया ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाएगी। इस साल की थीम है- बायो डायवर्सिटी यानी जैव-विविधिताI

वर्तमान परिस्थितियों में यह थीम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। लॉकडाउन के दौरान पिछले कुछ हफ़्तों में जीवन की रफ्तार थोड़ी धीमी जरुर हुई है लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध जैव-विविधता को देखने का अवसर भी मिला हैI सालों बाद पक्षी की आवाज़ को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं।

कुछ ही दिन पहले आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज मतलब नॉर्वे जैसा देश, सिंगापुर जैसा देश, उसकी जो कुल जनसंख्या है उससे दो गुना लोगों को मुफ्त में इलाज दिया गया है।

आयुष्मान भारत योजना के साथ एक बड़ी विशेषता पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी है पोर्टेबिलिटी ने देश को एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है यानी बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो उसे कर्नाटका में भी वही सुविधा मिलेगी जो उसे अपने राज्य में मिलती।