रुचिका सैनी को शोध क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय शोधार्थी रत्न अवार्ड से मिला सम्मान
बिलक्षणा एक सार्थक पहल समिति, बोहल शोध मंजूषा, गुरु फाउंडेशन, इण्डो यूरोपियन लिटरेरी यूक्रेन, विलक्षणा साहित्यिक मंच के तत्वाधान में नेपाल की राजधानी काठमांडू की पावन धरा पर होटल रीडर्स इन में 11 व 12 जून 2022 को दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी व अंतर्राष्ट्रीय सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
न्यूज़ एजेंसी - राज्यस्थान 19-06-2022
बिलक्षणा एक सार्थक पहल समिति, बोहल शोध मंजूषा, गुरु फाउंडेशन, इण्डो यूरोपियन लिटरेरी यूक्रेन, विलक्षणा साहित्यिक मंच के तत्वाधान में नेपाल की राजधानी काठमांडू की पावन धरा पर होटल रीडर्स इन में 11 व 12 जून 2022 को दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी व अंतर्राष्ट्रीय सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में देश विदेश की अनेक विभूतियों को सम्मानित किया गया। जिसमें राजस्थान के जयपुर जिले के महेश नगर निवासी रुचिका सैनीको शोध के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय शोधार्थी रत्न अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया। वर्तमान में में राज ऋषि भृतहारीमत्स्य विश्वविद्यालय अलवर राजस्थान के इतिहासएवं भारतीय संस्कृति विभाग की शोधार्थी हैं।
यह सम्मान उन्हें गुरु फाउंडेशन द्वारा हरियाणा की आन बान शान महावीर गुड्डू (अतिरिक्त निदेशक, हरियाणा कला परिषद), प्रो. डॉ संजय के झा (निदेशक, लिबरल आर्ट्स, एमिटी यूनिवर्सिटी हरियाणा), डॉ सनत् कुमार शर्मा (प्रोफेसर, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया) तथा डॉ हेमराज न्यौपाने (काठमांडू, नेपाल) विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति की संस्थापिका डॉ. सुलक्षणा अहलावत व महासचिव विकास शर्मा के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. नरेश सिहाग द्वारा किया गया व छाया चित्रों का संकलन मुकेश शर्मा ऋषि द्वारा किया गया। इनके शोध के क्षेत्र में कार्य की बात करें तो वर्तमान में ये एसोसिएट प्रोफेसर डॉ स्मिता मिश्राके निर्देशन में शोध कार्य कर रही है। इनका शोध विषय है “पूर्वी राजस्थान केसंगृहालय में प्रतिबिम्बितलोक संस्कृतिका ऐतिहासिकअध्ययन" जिसकी वर्तमान में अत्यधिक प्रासंगिकता है।इनके 7 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है।
जिनमे प्रमुख है - महात्मा गांधी के पर्यावरण से संबंधित विचार : वर्तमान में प्रासंगिकता, राजस्थान में लोक संस्कृति द्वारा जैव विविधता एवं प्रकृति संरक्षण : सवाई माधोपुर संग्रहालय के विशेष संदर्भ में, पूर्वी राजस्थान के प्रमुख संग्रहालयों में प्रदर्शित सांस्कृतिक निरंतरता के अवशेषों का संक्षिप्त अध्यन, गाडियां लोहारो का आर्थिक जीवन, बहाई धर्म की स्थापत्य कला : विभिन्न देशों के सांस्कृतिक समन्वय के संदर्भ में संक्षिप्त विश्लेषण, ए हिस्टोरिकल स्टडी ऑफ फोल्क कल्चर थ्रू पंच मार्क कोइंस : विद स्पेशल रेफरेंस ऑफ विराट नगर म्यूजियम, अमेजन रेनफोरेस्ट फायर : इंपैक्ट ऑन ग्लोबल एनवायरमेंट ।इनके द्वारा विभिन्न सेमिनारों में 12 शोध पत्रों का वाचन किया जा चुका है।इन्होंने 7 शोध पत्रों को रिव्यूकिया है।
इन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों व ससुराल पक्ष को दिया है। निश्चित रूप इन्होंने अपने सभी परिवार जनों के साथ राजस्थान व भारत को भी गौरवान्वित किया है।