यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 15-11-2020
हिमाचल में अढ़ाई माह के सूखे से किसान और बागवान परेशान हो गए हैं। बारिश पर पूरी तरह से निर्भर प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में गेहूं और अन्य फसलों की बिजाई अटक गई है। सेब बागवानों के लिए बगीचों के प्रबंधन में मौसम बाधा बना है और तौलिए बनाने का काम थम गया है। इसके साथ ही फलदार पेड़ों पर स्कैब, कैंकर, माइट और वूली एफिड आदि कीटों ने हमले करने शुरू कर दिए हैं।
प्रदेश के लाखों किसान और बागवान अब बारिश के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि कब बारिश होगी और उनके खेतों और बगीचों में नमी उत्पन्न होगी। पिछले डेढ़ माह से किसान और बागवानों आसमान पर टकटकी लगाए हैं कि कब उनके खेतों और बगीचों में उपयुक्त नमी मिलेगी। राज्य के कृषि निदेशक डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि कि जिन इलाकों के किसान सिंचाई के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं, वहां लंबे समय तक सूखा रहने से फसलों खासकर गेहूं, जौ, दालों और सब्जियों की बिजाई का काम लटक गया है।
अगर कुछ दिनों में बारिश होती है तो किसानों को खेतों में नमी रहने तक बिजाई का काम पूरी करना होगा। अभी उन इलाकों में फसलों की बिजाई हो सकी हैं, जहां सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। बागावानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि लंबे समय से सूखा होने से फलदार पेड़ों पर कीट हमले कर रहे हैं। स्कैब, कैंकर, माइट और वूली एफिड से बचाव करना जरूरी है।
सूखे के दौर में बगीचों में तौलिए को नहीं बनाना चाहिए। इससे बगीचों की नमी पर विपरीत असर पड़ता है। बारिश के बाद बगीचों में नमी पैदा होने पर ही तौलियों का काम करें। इससे पहले बागवानी विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।